मित्रों, आइए आज संत रैदास की एक बहुत ही प्रसिद्ध रचना से अपनी प्यास बुझाई जाए।
संत रैदास १४वीं शताब्दी के प्रमुख संत थे। वे मीराबाई के गुरु और संत कबीर के गुरुभाई थे। रैदास और कबीरदास के एक ही गुरु थे- रामानंद। रामानंद जी चोटी के संत थे। उनके सान्निध्य में जो भी आता था, ईश्वर भक्त हो जाता था। संत रैदास उन्हीं के शिष्य थे। इस तरह कबीरदास और संत रैदास समकालीन हुए।
प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी॥
प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा। जैसे चितवत चंद चकोरा॥
प्रभु जी तुम दीपक हम बाती। जाकी जोति बरै दिन राती॥
प्रभु जी तुम मोती हम धागा। जैसे सोनहिं मिलत सोहागा।
प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा। ऐसी भक्ति करै 'रैदासा॥
3 comments:
आभार जानकारी के लिए एवं संत रैदास का यह प्रसिद्ध पद पढ़बाने के लिए.
अति उत्तम्।
बहुत बहुत धन्यवाद ! महान भक्त संत श्री रैदास जी के श्रीचरणों में कोटि कोटि नमन !
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