विनय बिहारी सिंह
एक भक्त ने पूछा- क्या शिवजी ठीक वैसे ही हैं जैसा फोटो में दिखते हैं? इस पर एक साधु ने उत्तर दिया- शायद। भक्त ने पूछा- क्यों। आप तो ध्यान लगाते हैं। क्या आपको शिवजी ने दर्शन नहीं दिए? साधु ने कहा- जैसा कैलेंडर में दिखते हैं, वैसे तो नहीं दिखे। मुझे तो प्रकाश का अनुभव होता है। भक्त ने पूछा- तब कैलेंडर में जैसा शिवजी का चित्र है, वह कैसे प्रचलित हुआ? साधु ने कहा- किसी उच्च कोटि के संत ने शिवजी के साक्षात दर्शन किए। उसे लगा कि शिव भक्तों को एक आभास देना चाहिए कि शिवजी कैसे हैं। उसने एक कलाकार को पकड़ा। उसे शिवजी का रूप समझाया। इस उच्च कोटि के संत ने उसमें करेक्शन किया। फिर सामने आया शिवजी का चित्र। भक्त ने पूछा- क्या शिवजी के गले में सचमुच सांप है? साधु ने कहा- शिवजी के गले में सांप, कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है। हमारे सभी देवताओं के चित्रों में प्रतीक के इस्तेमाल किए गए हैं। जैसे भगवान विष्णु- शेषनाग को शैय्या बना कर आराम कर रहे हैं। यानी भगवान सर्वोपरि हैं। भक्त ने कहा- आज पता चला कि कैलेंडरों में देवताओं के चित्रों का क्या अर्थ है।
1 comment:
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
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