विनय बिहारी सिंह
जापान की एक महिला मकीको इवाफूची (४९ साल) नेपाल के पर्वतीय इलाके में गईं और अपने साथियों से बिछड़ गईं। वे इतनी दूर निकल गईं कि पहाड़ में ही खो गईं। उनके साथियों ने उन्हें ढूंढा। लेकिन उनकी कोई खोज खबर नहीं मिली। इवाफूची भी अपने साथियों को उसी बेचैनी से खोज रही थीं। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दो दिन बीत गए। इवाफूची अकेले- अकेले चिल्लाती रहीं- हेल्प मी, हेल्प मी। कोई मेरी मदद करो, मदद करो। लेकिन उस एकांत पहाड़ में पत्थरों से टकरा कर उनकी आवाज लौट आती। दो दिन तक वे घास और बांस के पत्ते खा कर जीवित रहीं। प्यास लगती थी तो तलहटी में बह रही नदी का पानी पीती थीं। जब उन्हें खोज लिया गया तो उन्होंने कहा- मैं सोचती थी कि अगर मैं बच जाऊंगी तो मेरा मन पूरी तरह बदल जाएगा। मैं लोगों से अधिक दयालुता और उदारता से पेश आऊंगी। लेकिन कभी- कभी डर भी लगता था कि मैं बच भी पाऊंगी या नहीं। लेकिन मैं लगातार प्रार्थना कर रही थी- हे प्रभु, मेरे जीवन की रक्षा कीजिए। मेरे ऊपर दया कीजिए....। और आखिरकार मैं बच गई। सचमुच गहरी, दिल से निकली प्रार्थना में बहुत ताकत है।
प्रार्थना के बारे में इस महिला का विश्वास और पक्का हो गया है। वे सर्वशक्तिमान को और गहराई से मानने लगी हैं।
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Apni-Apni Kismat
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