विनय बिहारी सिंह
ऋषियों ने कहा है- भगवान ही, सब कुछ हुए हैं। रामकृष्ण परमहंस ने कहा है- भगवान ही सब कुछ हुए हैं। वही चौबीस तत्व हुए हैं और वही आत्मा के रूप में सबके भीतर मौजूद हैं। एक संत से पूछा गया- आप किस मंत्र का जाप करते हैं? उन्होंने जवाब दिया- राम रमैया राम। उनसे पूछा गया- इस मंत्र का रहस्य क्या है? उन्होंने कहा- सब कुछ राम ही हैं। राम रमैया राम। सब कुछ राममय। एक भक्त ने पूछा- कैसे? उन्होंने कहा- आप सुबह उठते हैं तो सबसे पहले शौच जाते हैं। क्यों? शुद्ध होने के लिए। यानी राम के लिए। फिर ब्रश करते हैं और नहाते हैं। क्यों? फ्रेश होने के लिए। क्यों फ्रेश होते हैं? राम के लायक बनने के लिए। फिर पूजा- पाठ करते हैं। वहां भी राम। फिर जलपान। वह भी राम। उसके बाद काम करते हैं। वह भी राम के लिए। इसके बाद भोजन। भोजन भी राम ही हैं। वही हवन हैं। वही अग्नि हैं और वही हवन की प्रक्रिया हैं। वही भोजन हैं। वही पाचन की प्रक्रिया हैं और वही भोजन के पोषक तत्व हैं। जब रात को सोते हैं तो वह भी राम। कैसे? हम अपनी सुध- बुध खो देते हैं। किसमें? नींद में। तब जाकर फ्रेश होते हैं। सुबह कहते हैं कि बहुत अच्छी नींद आई। वहां भी हम भगवान में ही लीन होते हैं लेकिन इसका ग्यान नहीं रहता। ध्यान में भी हम भगवान में सुध- बुध खो देते हैं। लेकिन वहां ग्यान रहता है। तो सब कुछ राम ही हैं। राम रमैया राम।
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