विनय बिहारी सिंह
पिछली चार अगस्त को नागपंचमी थी। इस ब्लाग पर इसकी चर्चा होनी चाहिए थी। देर से ही सही- नागपंचमी को याद करें। माना जाता है कि नागपंचमी के दिन ही भगवान कृष्ण ने कालिया नाग को परास्त कर उसका मान मर्दन किया था। आठ महान नागों के संस्कृत नाम हैं- अनंत, वासुकी, पद्मनाभ, कंबल, धार्तराष्ट्र, तक्षक, शंखपाल और कालिया। कथा है कि ब्रह्मा के पुत्र थे- कश्यप। कश्यप की चार पत्नियां थीं। पहली पत्नी से देव, दूसरी से गरुण, तीसरी से नाग और चौथी से दैत्य पैदा हुए। नागपंचमी के दिन नवविवाहिता स्त्रियां नाग देवता की पूजा करती हैं। आमतौर पर नाग के फोटो की ही पूजा की जाती है। लेकिन कई जगहों पर संपेरों की मदद से जीवित नागों की भी पूजा होती है। हालांकि हिंदू धर्म में सांप, मनुष्य के भीतर कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है। जीवित नागों की पूजा कब से शुरू हुई, इसकी ठीक- ठीक जानकारी अब तक नहीं मिल पाई है। इस मौके पर कुछ खास किस्म की मिठाइयां घर में बनाई जाती हैं। लेकिन महंगाई के चलते वे परंपरागत मिठाइयां अब अनेक घरों में बननी बंद हो गई हैं। आमतौर पर लोग दुकानों से ही मिठाइयां खरीद लाते हैं। नागपंचमी के दिन चूंकि भगवान कृष्ण ने कालिया नाग को वश में किया था, इसलिए इस पर्व का खास महत्व है। भगवान के भक्त नागपंचमी को यह प्रार्थना करते हैं कि उनके भीतर का विष खत्म हो और अमृत की धारा बहे। सभी विषैले जीव- जंतु उनसे दूर रहें ताकि जीवन चैन से बीते।
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