विनय बिहारी सिंह
एक बार एक संत से पूछा गया- आपको सबसे आश्यर्यजनक प्राणी कौन लगता है? संत ने उत्तर दिया- मनुष्य। वह अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना पैसा कमाता है। फिर स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए पैसा खर्च करता है। इसके बाद वह भविष्य की चिंता से पीड़ित रहता है। एक दिन उसकी मृत्यु हो जाती है। इस तरह वह वर्तमान को इंज्वाय नहीं कर पाता। वह या तो भविष्य की चिंता करता है या भूत काल या बीते दिनों का स्मरण या बीती घटनाओं का अनावश्यक स्मरण करता है। जबकि मनुष्य को अपने अनुभवों से सीख कर वर्तमान को बेहतर बनाना चाहिए। परमहंस योगानंद जी ने कहा है- वर्तमान में जीओ। बेहतर काम करो। भविष्य खुद अपनी चिंता करेगा। हममें से अनेक लोगों की यह आदत होती है। वे बीती घटनाओं को बार- बार सोचते हैं। एक तरह से वे भूत काल में ही जीते रहते हैं। इस तरह वर्तमान काल बीतता जाता है। संतों ने वर्तमान को संवारने, बेहतर बनाने की सलाह दी है। भूत काल बाउंस चेक है। भविष्य अभी आएगा। लेकिन वर्तमान हमारे हाथ में है। अगर हम अपना वर्तमान संवारें तो भविष्य अपने आप संवर जाएगा। हमारा एक- एक क्षण भूत काल बनता जा रहा है।
2 comments:
अति उत्तम विचार्।
sach bhavishya kee chinta mein ham manushya apna vartmaan bigadkar rone se kahan baaj aate hain...
bahut badiya vichar prastuti ke liye aabhar!
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