Friday, August 12, 2011

पृथ्वी पर कैसे उत्पन्न हुआ जीव?

विनय बिहारी सिंह



वैग्यानिकों ने यह बात बार- बार कही है कि अंतरिक्ष से गिरे उल्का पिंडों में जीव पैदा करने वाले तत्व पाए गए हैं। जब पृथ्वी पर कोई जीव नहीं था तो एक दिन अचानक एक उल्का पिंड पृथ्वी पर गिरा। उसकी सतह पर मौजूद रसायनों से जीवों की उत्पत्ति हुई। मनुष्य की उत्पत्ति भी इसी तरह हुई। पिछले हफ्ते स्वामी अभेदानंद नामक लेखक की एक पुस्तक फुटपाथ पर बिकती देखी। पुस्तक का शीर्षक था- लाइफ आफ्टर डेथ। उसमें कहा गया था कि जो लोग मरते हैं वे सूक्ष्म जगत में चले जाते हैं। यदि उनका आह्वान किया जाए तो वे मैटिरियलाइज हो कर हमारे सामने आते हैं। पुस्तक में ऐसी ही कुछ आत्माओं के फोटो और उनकी हैंड राइटिंग दी गई थी। लेखक ने इसमें अपने कुछ अनुभव भी दिए थे। लेकिन उन्होंने कहा था कि उच्च कोटि का आह्वान तो भगवान का है। उन्हें ही पुकारना चाहिए। मैंने वह पुस्तक जस की तस रख दी। क्योंकि आटोबायोग्राफी आफ अ योगी पढ़ने के बाद मुझे मृत्यु के बाद क्या होता है, इसे लेकर अब उत्सुकता नहीं है। परमहंस योगानंद जी की लिखी विख्यात पुस्तक- आटोबायोग्राफी आफ अ योगी विलक्षण पुस्तक है। उसमें एक चैप्टर है- रिसरेक्शन आफ माई गुरु श्री युक्तेश्वर। उसमें विस्तार से मृत्यु के बाद क्या होता है, इसका वर्णन है। यह पुस्तक- योगी कथामृत- के नाम से हिंदी में अनूदित है। खूब बिकने वाली अत्यंत रोचक पुस्तक है यह। योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया ने इसे प्रकाशित किया है। जैको पब्लिकेशन भी इसकी बिक्री करता है।
यह सच है कि अंतरिक्ष में विभिन्न तरह की आवाजें और सूक्ष्म शक्तियां मौजूद हैं। हमारे पास अगर रेडियो है तो इनमें से कुछ आवाजें, गाने या अन्य प्रोग्राम और मोबाइल फोन है तो अपने मोबाइल नंबर पर आने वाले फोन सुन सकते हैं। लेकिन कई सूक्ष्म आवाजें होती हैं जिन्हें हम नहीं सुन सकते। ऋषियों ने कहा है कि इन्हीं सूक्ष्म आवाजों में एक आवाज ओम की भी है।

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