Monday, August 8, 2011

भरोसा सिर्फ भगवान का

विनय बिहारी सिंह


यह एक सच्ची घटना है। हमारे एक परिचित होमियोपैथ डाक्टर द्वारहाट (अल्मोड़ा के पास) गए थे। वे पहाड़ों में घूमते- घूमते अचानक खो गए। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि जिस योगदा आश्रम में वे ठहरे हैं, वहां जाएं कैसे? जिधर भी जाते जंगल और पहाड़। वे द्वारहाट के आश्रम में फ्री मेडिकल कैंप में हिस्सा लेने गए थे। काफी देर हो गई, डाक्टर साहब को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। वे एक जगह रास्ते पर खड़े हो गए और अपने गुरु परमहंस योगानंद का स्मरण करने लगे। उनके हृदय से आवाज निकल रही थी- हे गुरुदेव मुझे सही रास्ता दिखाइए। हे भगवान मुझे रास्ता बताइए ताकि मैं आश्रम में पहुंच जाऊं। पांच मिनट बाद एक लड़की गाय हांकते हुए आई और उनसे बोली- अरे डाक्टर साब, आप यहां? यह लड़की मेडिकल कैंप में दवा के लिए आई थी। इसलिए डाक्टर साब को पहचान गई। डाक्टर ने बताया कि वे भूल गए हैं। लड़की हंसने लगी। बोली- हम तो रोज ही इस रास्ते से आते जाते हैं। आप चिंता न कीजिए। मेरे साथ चलिए। डाक्टर उस लड़की के साथ गए और अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच कर राहत की सांस ली। डाक्टर ने मुझे यह संस्मरण सुनाते हुए कहा- ऐसे कठिन क्षणों में जिस तरह भगवान की याद आती है, अगर सामान्य स्थिति में भी उसी तरह हम उन्हें तड़पते हुए पुकारें तो कितना अच्छा हो। हम संकट में जिस तरह भगवान को याद करते हैं, ठीक उसी तरह यदि सामान्य स्थितियों में भी याद करें, प्रार्थना करें तो हमारा जीवन ही बदल जाएगा।

2 comments:

vandana gupta said...

दुख मे सुमिरन सब करे सुख मे करे न कोई
जो सुख मे सुमिरन करे तो दुख काहे होई

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो
चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।