(courtesy BBC Hindi service)
ग्रह को खाने वाला नक्षत्र
अंतरिक्ष टेलिस्कोप हबल ने ये सबूत हासिल किया है कि सूर्य जैसा नक्षत्र एक ग्रह को निगल रहा है.
खगोलशास्त्री ये तो पहले से ही जानते हैं कि नक्षत्र अपने आस पास घूमने वाले ग्रहों को ग्रस लेते हैं, लेकिन पहली बार इस नज़ारे को इतना साफ़ देखा गया है.
वास्प-12 बी नाम के ग्रह को ग्रस रहे नक्षत्र से हबल इतनी दूर है कि ठीक से तस्वीर नहीं ली जा सकती.
ये शोध 'एस्ट्रोफ़िज़िकल जर्नल लैट्रस' में छपा हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि वास्प-12बी की उम्र शायद एक करोड़ साल और हो, क्यों कि उसके बाद उसके पूरी तरह विलुप्त हो जाने के आसार हैं.
वास्प 2 बी अपने को निगलते जा रहे इस नक्षत्र के इतने नज़दीक है कि 1500सी से ज़्यादा तपिश में जलता जा रहा है.
इतना कम अंतर होने के कारण वास्प 12 बी का वातावरण बृहस्पति ग्रह के अर्द्ध व्यास से तीन गुना ज़्यादा फैल गया है.
इसी कारण वास्प-12बी का पदार्थ नक्षत्र पर बिखरता जा रहा है.
ब्रिटेन की ओपन यूनिवर्सिटी के शोध दल की प्रमुख कैरोल हैसवेल का कहना है, “ग्रसे जा रहे ग्रह के चारों तरफ़ पदार्थ का एक विशाल बादल सा देख रहे हैं, जिसके कारण नक्षत्र इस पर क़ाबू पा लेगा.”
हबल से पदार्थ के इस बादल की जानकारी मिलने के बाद ही वैज्ञानिक इसकी व्युत्पत्ति का पता लगा सके हैं.
डॉ हैसवेल ने कहा है, “पदार्थ के इस बादल में हमने जिन रासायनिक तत्वों का पता लगाया है वे हमारे सौर मंडल के अलावा और कहीं नहीं दिखते.”
वास्प-12 बी एक बौना ग्रह है जो कि तारामंडल से लगभग 6 सौ प्रकाशवर्ष की दूरी पर है.
2 comments:
badhiya jaankaari ke liye aabhaar...
kunwar ji,
नयी जानकारी के लिए शुक्रिया!
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