हमारा अपना प्रियतम
विनय बिहारी सिंह
जो लोग यह कहते हैं कि इस दुनिया में उनका कोई नहीं है, वे ईश्वर से अनजान हैं। इस दुनिया में हर मनुष्य और जीव जंतु का भरण- पोषण, देखभाल ईश्वर कर रहे हैं। जब आपके साथ कोई नहीं होता तो भी ईश्वर होते हैं। वे हमारे अपने प्रियतम हैं। लेकिन कोई कैसे कह देता है कि दुनिया में उसका कोई नहीं है? ईश्वर हमारे जीवन में ही नहीं मृत्यु के बाद भी हमारे साथ रहते हैं। आज आपका एक नाम है, पता- ठिकाना है, आपका एक चेहरा है जिसे आप रोज आइने में देखते हैं। लेकिन जैसे ही मृत्यु होगी, ये सारी पहचानें नष्ट हो जाएंगी। फिर आप किसी और जगह जन्म लेंगे, किसी और नाम औऱ चेहरे के साथ, किसी और पता- ठिकाने के साथ। फिर इस जन्म की सारी चीजें आप भूल जाएंगे। हमारा शास्वत घर ईश्वर के प्रेम में है। ईश्वर से प्रेम ही एक मात्र ऐसा उपाय है कि हम हमेशा आनंद में रह सकते हैं। परमहंस योगानंद जी ने कहा है- सोते, जागते, उठते, बैठते, चलते- फिरते और यहां तक सोचते हुए भी ईश्वर के संपर्क में रहिए। उन्हीं की शक्ति से हम अपना कोई काम कर पाते हैं। हम अकेले या बेसहारा नहीं हैं। ईश्वर हैं, यह सच्चाई है। लेकिन हम अपने प्रपंचों में इतने मशगूल हैं कि ईश्वर को दूर बैठा हुआ समझते हैं। जबकि वे तो हमारे हृदय में हैं। उन्हें महसूस करने की जरूरत है।
1 comment:
सही कहा………………।ईश्वर सर्वव्यापक हैं मगर उसे खोजते सब बाहर ही हैं जबकि सृष्टि का कण कण उसी की शक्ति से चल रहा है………………उसका साथ तो हर पल होता है बस मानव ही नही समझ पाता है।जो हमारा परम हितैषी है उसी को भूल जाता है।
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