ईश्वरीय नियम शास्वत हैं
विनय बिहारी सिंह
ठीक समय पर दिन और ठीक समय पर रात। ठीक समय पर फूलों का खिलना, ठीक समय पर चिड़ियों का चहचहाना और ठीक समय पर सर्दी या गर्मी या बरसात। अगर आपने खान- पान में या जीवन चर्या में गलती की और नियमों का उल्लंघन किया तो निश्चय ही आपको कई तरह के कष्ट होंगे। ईश्वर के नियम शास्वत हैं। इनमें कहीं कोई हेर फेर नहीं है। लेकिन फिर भी हम अपने में इतने गाफिल होते हैं कि इस पर गौर नहीं करते। समय बीत रहा है। उम्र एक- एक दिन कर बीत रही है। परमहंस योगानंद जी ने कहा है कि हमें हर रोज रात को बैठ कर थोड़ी देर के लिए ही सही, विश्लेषण करना चाहिए कि हमारा दिन कैसा गया। हमने पूरे दिन में क्या सकारात्मक काम किया। कहीं हमने किसी का दिल तो नहीं दुखाया, कहीं किसी के साथ गलत व्यवहार तो नहीं किया। ईश्वर को खुश करने वाला कौन सा काम किया। अगर हमें मनुष्य जीवन मिला है तो निश्चय ही रचनात्मक काम करने के लिए और ईश्वर को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करना चाहिए। देहातों में आज भी कहा जाता है- बड़े भाग मानुष तन पावा। तो हम भाग्यशाली हैं कि हमें मनुष्य का शरीर मिला है। इस शरीर में हमें सात चक्र मिले हैं जिन्हें अगर ध्यान के द्वारा विकसित किया जाए तो ईश्वर की कृपा बरसेगी। बस सुबह और शाम या रात को थोड़ा समय ध्यान के लिए निकालना है। ईश्वर में डूब जाने के लिए, ईश्वर में लय होने के लिए। आप पाएंगे कि नींद से जितना आराम आपको नहीं मिलता, ध्यान से उसका कई गुना आनंद मिलता है। आजकल मल्टी नेशनल कंपनियों में कर्मचारियों को कहा जा रहा है कि वे तनाव कम करने के लिए ध्यान किया करें। चाहे दस मिनट के लिए ही सही। इससे मनुष्य अपने स्रोत से जुड़ जाता है। पता चलता है कि हम कहां से आए हैं और हमें अंत में कहां जाना है। बस, जीवन का केंद्र बिंदु ईश्वर ही हों। उन्हीं की शरण में शांति, आनंद और प्रेम का समुद्र मिलेगा।
4 comments:
bahut khoob...........yahi utkantha to honi chahiye insaan mein tabhi lakshya hasil kar payega.........dhyan to bahut hi uttam avastha hai.
malik ki marzi, uske aadesh ko bhi pehchanna chahiye aur uska palan bhi karna chahiye .
nice post.
क्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।
आइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !
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