Monday, June 28, 2010

जीन थिरैपी का कमाल

विनय बिहारी सिंह


अमेरिकी वैग्यानिकों ने रोगी के फैट सेल्स और मांसपेशियों के सेल से हड्डी बनाने में सफलता पा ली। ऐसा जीन थिरैपी के कारण हुआ। उन्होंने यह प्रयोग पहले चूहों पर किया। चूहों के फैट सेल की जीन थिरैपी की। नतीजा यह हुआ कि पहले कार्टिलेज बना। फिर वही कार्टिलेज हड्डी में तब्दील हुआ। इस प्रयोग की सफलता के बाद वैग्यानिकों ने कहा है कि जिन मरीजों की हड्डी टूट जाती है, उनकी टूटी हड्डी निकाल कर स्टील इत्यादि फिट कर दिया जाता था। इससे मरीज चलने- फिरने लायक हो जाता है। लेकिन मरीज को पूरी तरह स्वस्थ होने में तीन चार महीने लग जाते हैं। कृत्रिम हड्डी लगाने के १५ दिन बाद ही मरीज चलने फिरने लगता है। इसकी वजह यह है कि वह हड्डी उसी के सेल से बनी होती है। शरीर ऐसी हड्डी तुरंत स्वीकार कर लेता है। डाक्टरों का कहना है कि अगर यह प्रयोग आगे बढ़ा तो चिकित्सा के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी परिवर्तन होंगे। लोगों का जीवन औऱ राहत भरा होगा। भारत में भी ऐसे प्रयोगों की आवश्यकता है।

1 comment:

Udan Tashtari said...

सुखद समाचार है.