विनय बिहारी सिंह
भक्त के लिए सबसे पहली सीढ़ी होती है आस्था। भगवान में पूर्ण विश्वास। यह नहीं कि अंधेरे से डर लग रहा है, या किसी और चीज से डर लग रहा है और भगवान का नाम लेकर भी विश्वास नहीं हो रहा है कि भगवान बचाएंगे या नहीं। आस्था एक दम से नहीं आ जाती। यह प्रयत्न करने पर धीरे- धीरे आती है। जब आस्था की नींव पक्की हो जाती है तो उस पर भगवान आ कर विराजते हैं। इसके पहले वे नही आते। क्यों आएंगे भला? जब आपको विश्वास ही नहीं है कि भगवान सर्वशक्तिमान हैं, उन्होंने ही आपको पैदा किया है, वही आपका पोषण कर रहे हैं और अंत में आप उन्हीं में लीन हो जाएंगे। भगवान ही पहले हैं और भगवान ही मध्य में है और वही अंत में भी हैं। फिर भी अगर विश्वास नहीं होता तो कोई उपाय नहीं है। ऐसे ही व्यक्तियों के लिए आदि शंकराचार्य ने कहा है- भज गोविंदम, भज गोविंदम, भज गोविंदम मूढ़मते।। ईश्वर का भजन करो। उनमें लीन होओ। वे बता देंगे कि वे हैं। और सच पूछा जाए तो एक वही हैं। एक उनकी ही सत्ता है। उन्हीं की सत्ता के अंश से सब लोग सत्तावान हुए हैं। भगवान ने कहा है- एको अहम बहुस्यामि।। मैं हूं एक ही। लीला के लिए अनेक हो गया हूं।
भगवान ही सब कुछ हैं। इसीलिए हम उन्हीं की शरण में रहें तो आनंद है।
1 comment:
बिल्कुल सत्य बात्।
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