विनय बिहारी सिंह
आज अक्षय तृतीया है। यानी बैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि। जैन धर्म में भी अक्षय तृतीया को पवित्र दिन माना जाता है। अक्षय यानी जिसका कभी क्षय नहीं होता हो। अमर। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। विष्णु जो इस ब्रह्मांड के पालक हैं। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही त्रेता युग का आरंभ हुआ था। इसे आखा तीज भी कहते हैं। इसे ऋषि परशुराम के स्मरण का दिन भी माना जाता है। ऋषि परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। लेकिन जैसा कि होता है- इस पर्व में भी बाजार कूद पड़ा है। कहा जाता है कि इस दिन सोना खरीदिए। शुभ है। प्राचीन काल से माना जाता रहा है कि अक्षय तृतीया के दिन व्यापार या कोई नया काम शुरू करना अत्यंत शुभ होता है। अक्षय तृतीया को मानने वाले लोग भोर की वेला में उठ कर स्नान ध्यान करते हैं। फिर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। कई लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं क्योंकि वे भी विष्णु के ही अवतार हैं। आमतौर पर परंपरागत प्रारंभ- गणेश और लक्ष्मी पूजन से होता है। माना जाता है कि इस दिन इस विधिवत पूजा से धन धान्य में वृद्धि और भविष्य सुखमय होता है। अनेक लोग इस दिन व्रत रखते हैं और पूरे दिन ईश्वरानंद में डूबे रहते हैं। ऐसे शुभ मौके पर पूजा- ध्यान में और अधिक कौन नहीं रमना चाहेगा।
3 comments:
badhiya janakari di hai ...abhaar
बहुत बढिया जानकारी।
Beautiful and informative post.
Post a Comment