Thursday, May 5, 2011

एक चीनी कथा


विनय बिहारी सिंह



चीन की एक कथा है। एक किसान के तीन बेटे थे। तीनों डाक्टर बन गए। लेकिन सबसे छोटा बेटा सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ। उसके पास देश के ही नहीं, विदेश के मरीज भी आने लगे। उसकी कीर्ति लगातार फैल रही थी। उस शहर के लोग चकित थे। एक अन्य किसान ने इन डाक्टरों के पिता से पूछा- आखिर आपका सबसे छोटा बेटा ही क्यों लोकप्रिय है? जबकि डाक्टर तो आपके तीनों बेटे हैं। एक ही मेडिकल कालेज से पढ़े हैं। डाक्टरों के पिता ने कहा- दरअसल मेरा सबसे छोटा बेटा मरते हुए मरीजों, तड़प रहे मरीजों को ठीक कर देता है। स्वस्थ कर देता है। इसलिए उसकी ख्याति फैल गई है। मेरा मझला बेटा मरीजों का इतनी अच्छी तरह इलाज करता है कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं होती। मेरा सबसे बड़ा बेटा इन दोनों से भी योग्य है। वह रोग शुरू होते ही उसे जड़ से खत्म कर देता है। नतीजा यह है कि उसके यहां जो भी मरीज आता है, वह कभी गंभीर रूप से बीमार ही नहीं होता। मेरा सबसे बड़ा बेटा चुपचाप श्रेष्ठ कार्य करता है, इसलिए उसे कोई नहीं जानता। सब उसे ही जानते हैं जो गंभीर रोगियों को ठीक करता है।
ऋषियों ने कहा है- जो चुपचाप आध्यात्मिक कार्य करता है, उसे कोई नहीं जानता। उसे अपना नाम हो, यश हो, इसकी अभिलाषा भी नहीं होती। वह तो बस भगवान के साथ अपने प्रेम में ही मस्त रहता है। वह कहता है- भगवान, मैं तुम्हें प्रेम करता हूं। तुम्हारे सिवा मेरा कोई नहीं । तुम मेरी लाज रखो। तुम्हीं मेरे आधार हो। मेरा जीवन तुम्हें समर्पित है। ऐसे ईश्वर प्रेमियों को कोई नहीं जानता। वे अनाम रहते हैं। लेकिन रहते हैं आनंद में। उन्हें इसकी परवाह नहीं है कि उन्हें कौन जानता है और कौन नहीं। सारी शक्तियां तो भगवान के यहां से ही आती हैं। तो क्यों न उस स्रोत से जुड़ें। तो क्या अन्य लोगों की उपेक्षा करें? नहीं, बिल्कुल नहीं। जो प्रेम आप ईश्वर को देते हैं, वही आप अन्य लोगों को देंगे तो वह कई गुना होकर आपके पास लौट आएगI