Friday, September 25, 2009

चामुंडा देवी यानी शक्ति रूपिणी मां

विनय बिहारी सिंह

कर्नाटक में जिसे देवी चामुंडा कहते हैं, महाराष्ट्र में जिसे संतोषी मां और मां भवानी कहते हैं, जम्मू- कश्मीर में जिसे वैष्णव देवी कहते हैं, असम में जिसे कामाख्या कहते हैं, गुजरात में जिसे भद्रकाली कहते हैं और पश्चिम बंगाल में जिसे मां दुर्गा और काली कहते हैं, उसी मां के पूजन का समय चल रहा है। उसी मां ने महिषासुर का वध किया था इसीलिए उनका नाम महिषासुरमर्दिनी पड़ा। पूर्वी भारत में मां दुर्गा और इसके बाद दीपावली के दिन काली पूजा होती है, हमारे उत्तर भारत में विजयादशमी मनाई जाती है। उसी को पूर्वी भारत में दुर्गापूजा कहा जाता है। विजयादशमी भी रावण पर भगवान राम की विजय का प्रतीक है। विभिन्न प्रांतों में शक्तिरूपिणी मां का अलग- अलग नाम है, अलग- अलग रूप है। कहीं तो उनका रूप छिन्नमस्ता भी है। मां तारा भी वही कही जाती हैं। तो कुल मिला कर सार यही है कि असुर प्रवृत्ति पर देव प्रवृत्ति की विजय। देवता औऱ असुर दोनों ही हमारे भीतर हैं। अगर हम अपने भीतर के असुर को पुष्ट करेंगे, उसकी कही सुनेंगे तो हमारा पतन होगा। लेकिन अगर हम अपने भीतर के देवता की बात सुनेंगे तो सुखी और आनंद में रहेंगे। यह दुर्गापूजा का त्यौहार या दशहरा या विजयादशमी का त्यौहार हमें अपने भीतर के देवता को और पुष्ट करने के लिए प्रेरित करता है।

3 comments:

Sunita Sharma Khatri said...

देवी के स्वरूपों की विस्तार से जानकारी दे सके तो बहुत अच्छा रहेगा,आज की व्यस्त पीढी के लिए एेसी जानकारी उपलब्ध कराना आप जैसे लेखकों का पुनीत कर्तव्य है।

Unknown said...

सुनीता जी, आपका कहना सही है। लेकिन मजबूरी यह है कि ढेर सारे कामों में फंसा हूं और चाह कर भी अतिरिक्त समय नहीं निकाल पा रहा हूं। फिर कभी समय मिला तो अवश्य लिखूंगा। फिलहाल क्षमा याचना स्वीकार करें। मुझे जैसे ही समय मिलता है- ब्लाग पर बैठ कर जो भी दिमाग में चल रहा होता है, लिख देता हूं। मैं आपका आभारी हूं।
- विनय बिहारी सिंह

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

आइए हम सब मिलकर मां से अनुरोध करें कि कलियुग में एक बार फिर वह अवतार लें नेता और नौकरशाही रूपी महिषासुर के वध के लिए. या फिर हमें ही इतनी शक्ति दें कि .......