Tuesday, September 8, 2009

क्या साइंस साबित करेगा कि ईश्वर हैं या नहीं?

विनय बिहारी सिंह


आश्चर्यजनक सवाल उठाया गया है। पूछा गया है कि जो चीजें साइंस प्रमाणित करता है, वही सच हैं। बाकी गलत। ईश्वर के होने का प्रमाण आज तक साइंस के पास नहीं है। क्यों? जितने भी साधु संत हैं, उन्होंने लोगों को भरमाया है, यह आरोप लगाया गया है। तो क्या महान ऋषि पातंजलि ने भी लोगों को भरमाया है? पातंजलि तो ईश्वर का साक्षात्कार कर चुके थे। तब उन्होंने पातंजलि योग सूत्र लिखा। आजकल के भगवान विरोधी लोगों को हो क्या गया है? क्या रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानंद, स्वामी विवेकानंद, चैतनय महाप्रभु, तुलसीदास, सूरदास, वेदव्यास, शुकदेव, विश्वामित्र, अष्टावक्र, या संक्षेप में कहें सप्त ऋषियों ने झूठ कहा था कि ईश्वर हैं? क्या आजकल के ये बेकार में शोर गुल करने वाले लोग ही असली विद्वान हैं। दुनिया भर के धर्मग्रंथ झूठे हैं? अध्यात्म कहता है कि हमारी रीढ़ की हड्डी में छह चक्र होते हैं। मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि और आग्या चक्र। यह मैं नहीं ऋषि पातंजलि ने कहा है। इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियां हैं। किसी शरीर का आपरेशन करके ये चक्र या नाड़ियां तो नहीं खोजी जा सकतीं। क्योंकि सभी ऋषियों ने कहा है कि ये चक्र और नाड़ियां सूक्ष्म हैं। तो क्या ये तर्क करने वाले कहेंगे कि वे सूक्ष्म चीजों के अस्तित्व को नहीं मानते? आगर नहीं मानते तो भैया अपने प्राण को भी मत मानो। तुम्हारा प्राण भी सूक्ष्म ही है। जब यह तुम्हारे शरीर से निकलता है तो तुम्हारे पास खड़ा आदमी भी नहीं देख सकता। लोगों को मरते अनंत लोगों ने देखा है। क्या कोई बोल सकता है कि अमुक व्यक्ति का प्राण उसने अमुक जगह जाते हुए देखा है? नहीं। यह संभव ही नहीं है। तो क्या प्राण नहीं है? है। हर व्यक्ति कहेगा है। तो मेरे तर्कवादी भाइयों इसी तरह ईश्वर भी है। उसे जानने की विधियां हैं। उन पर अमल करना पडेगा तब ईश्वर है जान पाओगे। सिर्फ तर्क करने से ईश्वर को नहीं जाना जा सकता। तर्क और अनुभूतियों में जमीन आसमान का अंतर है। बोलने और महसूस करने में आकाश पाताल का फर्क है। कभी किसी दिव्य संत के संपर्क में आओ, आध्यात्म में गहरे डूबो। तब ईश्वर की अनुभूति होगी। सिर्फ़ बैठ कर उत्तेजना पैदा करने और प्रपंच करने से कुछ भी हासिल नही होने वाला। बड़े बड़े लोग ईश्वर का विरोध कर चले गए।ईश्वर ने ही तुम्हे बनाया है मेरे भाई। अपने ही वजूद पर सवाल? साइंस की एक सीमा है। लेकिन ईश्वर की सीमा नहीं है। ईश्वर अनंत हैं। कैसे जान पाओगे सिर्फ तर्क से?

2 comments:

Arvind Mishra said...

अंत में जाकर अपने सच कह ही दिया -साईंस की एक सीमा है ! बिलकुल साईंस वही स्वीकारेगा जो प्रयोग परीक्षणों से बार बार हजार बार सत्यापित होता हो !
अब भगवान को तो प्रयोगशाला में सत्यापित किया नहीं जा सकता !
नहीं उसे प्रगट किया जा सकता है ! तो जाहिर है ईश्वर विज्ञान के विषय नहीं है ! मगर विज्ञान से ऐसी कोई अपेक्षा भी क्यों ?

Aditya Gupta said...

Very Nice Article....

God is there only with science or logic no body can prove it only from heart they can find the way to him.