विनय बिहारी सिंह
हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्वच्छ हवा का सेवन, पौष्टिक और स्वच्छ भोजन, स्वच्छ वस्त्र और व्यायाम इत्यादि करते हैं। यह आवश्यक भी है। लेकिन हममें से कई लोग मन को स्वस्थ रखने पर ज्यादा विचार नहीं करते। मन को जहां- तहां घूमने देते हैं। जैसे मनुष्य जहां- तहां भटकता है और कपड़ों के अलावा शरीर पर न जाने कितनी धूल और गंदगी इकट्ठा हो जाती है। इसको साफ करने के लिए उस दिन नहीं तो अगले दिन हमें स्नान करना पड़ता है, उसी तरह मन को प्रति दिन साफ करना पड़ता है। कैसे? मन को साफ करने के लिए कौन सा साबुन या सर्फ है? वह साबुन है- ईश्वर का स्मरण। बस ईश्वर से यही प्रार्थना करनी चाहिए- हे ईश्वर मुझसे आज जाने-अनजाने जो भी गलती हुई हो, क्षमा करें और मुझे उचित राह पर चलने की प्रेरणा दें। संतों ने कहा है- दिन भर आपने जो कुछ किया है उसके मद्देनजर आत्मनिरीक्षण करें। कहीं आपसे ऐसा कुछ तो नहीं हुआ है कि जो नहीं करना चाहिए। क्या किसी से क्रोध में बोल दिया है? आपसे किसी तरह का दुर्व्यवहार हो गया है? वगैरह, वगैरह। यह है आत्मनिरीक्षण। इससे खुद को सुधारने का मौका मिलता है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है- मनुष्य अपना खुद ही मित्र है और खुद ही शत्रु। इस तरह अपने भीतर झांकने का अभ्यास हमारे भीतर की मैल को साफ कर देता है। बस पांच- दस मिनट में यह काम हो जाएगा। आप रात को सोने से पहले यह काम कर सकते हैं। फिर नींद में जाने से पहले प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए। कई लोग भगवान का ध्यान करते हैं। वे भाग्यशाली होते हैं। सोने से पहले और जागने के तुरंत बाद ईश्वर का ध्यान करना भाग्यशाली होना है। पांच मिनट ध्यान कर लिया फिर बाथरूम गए और दिन के काम की शुरूआत कर दी। लेकिन अगर मन में कोई तनाव, व्यथा, परेशानी या दुख, ऊब या बोरियत वगैरह है तो फिर सावधान हो जाना पड़ेगा। इसका मतलब है मन स्वच्छ नहीं है। तुरंत इसे साफ करना चाहिए। फिर आगे बढ़ना ठीक है। वरना मन पर परत दर परत मैल चढ़ती जाएगी। ठीक उसी तरह जैसे कपड़े को साफ न किया जाए तो वह इतना गंदा हो जाएगा कि बदबू करने लगेगा। मन तो बदबू नहीं करेगा लेकिन मनुष्य को डिप्रेसन या तनाव में डाले रहेगा। मनुष्य को चिड़चिड़ा बना देगा। या दुखी कर देगा। या मन में किसी बात का भय पैदा कर देगा। या कुछ नहीं तो नींद ही गायब कर देगा। यह सब मन के अस्वस्थ होने के परिणाम हैं। तो क्यों न मन को साफ करते चलें ताकि आगे बढ़ने में कोई दिक्कत न हो।
1 comment:
..जीवन-व्यापार में सक्रिय भी रहें और हमेशा मन स्वच्छ भी रहे, यह आवश्यक है, पर यथार्थ में इसे करें, कैसे....मार्गदर्शन करें....
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