विनय बिहारी सिंह
आज नवरात्र का पहला दिन है। शक्तिदायिनी जगन्माता में श्रद्धा रखने वाले लोग आज व्रत करते हैं। कुछ लोग सिर्फ फलाहार करते हैं, कुछ फल का रस, वह भी एक गिलास सुबह और एक गिलास शाम को पीकर ही २४ घंटा बिता देते हैं। लेकिन कुछ लोग फलाहारी पकवान पेट भर कर खाते हैं, फिर भी कहते हैं कि आज उपवास है। एक संत का कहना है कि उपवास का शाब्दिक अर्थ है, उप- नजदीक वास- रहना। किसके नजदीक रहना? ईश्वर के नजदीक रहना। इसी को उपवास कहते है। तो फिर अन्न क्यों नहीं खाते? परमहंस योगानंद जी कहते हैं- सिर्फ फल का रस पी कर रहने से पेट ही नहीं शरीर का सारा विकार दूर हो जाता है। शरीर के टाक्सिंस शरीर से बाहर निकल जाते हैं। पेशाब के जरिए या शौच के जरिए। एक दूसरा फायदा भी है। व्रत से आपके दिमाग की ताकत भी बढ़ती है।कैसे? जब भी आपके भीतर खाने की प्रबल इच्छा पैदा होती है, आप मन ही मन कहते हैं- आज तो मैं उपवास हूं। भोजन नहीं करना है। धीरे- धीरे आपकी नियंत्रण शक्ति बढ़ती है और आपका माइंड पावर भी बढ़ता है। नवरात्र के सभी दिनों मे मां दुर्गा या काली की अराधना की जाती है। लेकिन जो माता के पूर्ण भक्त हैं वे हमेशा ही यानी बारहों मास अराधना करते हैं। हां, इन नौ दिनो में वे विशेष अराधनाकरतेहैं। अराधना का समय बढ़ा कर दोगुना कर देते हैं। आइए हम सब जगन्माता को प्रणाम करें और अपने भीतर उनके प्रति असीम प्यार पैदा करने की कृपा मांगे।
2 comments:
सुन्दर प्रस्तुति . धन्यवाद . ईद और नवरात्र पर्व की हार्दिक शुभकामनाये
नवरात्र की मंगल कामनाएँ.
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