Monday, September 7, 2009

तनाव और भय पर साइंस की क्या राय है?

विनय बिहारी सिंह

हां, कुछ लोग बहुत जल्दी तनाव में आ जाते हैं। तनाव हमें धीरे- धीरे मारता है। कैसे? डाक्टर कहते हैं- भय भी खतरनाक है। अगर आपके मन में किसी बात को लेकर लगातार डर चल रहा है तो निश्चित जानिए कि आपके शरीर में हार्मोनल परिवर्तन हो रहा है। डरने से आपके शरीर में एड्रीनलीन की मात्रा बढ़ जाती है। नतीजा यह होता है कि आपके शरीर और नर्वस सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ता है और आपके भीतर एक स्थाई डर का रोग कुंडली मार कर बैठ जाता है। इसी तरह अगर आप तनाव में हैं तो कार्टिसाल नामक हारमोन आपके शरीर में अतिरिक्त रूप से स्रावित होगा औऱ आप बिना वजह भी तनाव में रहने लगेंगे। बात बेबात झुंझला कर बोलने लगेंगे और अगर बस छूट गई तो भी आप भारी तनाव में आ जाएंगे। यह नहीं कि वैकल्पिक उपाय के बारे में सोचें। अगर आपके भीतर क्रोध है या आप लगातार किसी बात से कुढ़ रहे हैं तो इससे आपका कोलेस्टेराल का स्तर बढ़ेगा और आपका ब्लड प्रेसर भी हाई हो जाएगा। लगातार क्रोध और कुढ़न के कारण कई लोगों को हर्ट अटैक और ब्रेन हेमरेज भी हो जाता है। इससे ठीक विपरीत अगर आप खुल कर हंसने वाले व्यक्ति हैं तो आपका बहुत फायदा है। इससे आपके शरीर में एंडोमार्फीन का स्तर बढ़ जाएगा और आप हमेशा खुशमिजाज ही रहेंगे। इससे स्वास्थ्य तो आनंददायक होगा ही, आपकी आयु भी बढ़ेगी। आपका व्यक्तित्व भी आकर्षक बनेगा। संतों ने कहा है कि खुश और आनंद में रहने के लिए रात को सोते समय या फुरसत के क्षणों में कोई अच्छी धार्मिक पुस्तक पढ़नी चाहिए। सभी जानते हैं कि ईश्वर कृपासागर हैं। वे अपने भक्तों पर अकारण कृपा करते हैं। अगर आपके पास पुस्तक भी पढ़ने का समय नहीं है तो आप ईश्वर के गुणों और उनकी लीलाओं का ही स्मरण कर सकते हैं। इसके लिए तो समय मिल ही जाएगा। कहीं बस में या ट्रेन में या रिक्शा में जा रहे हैं और ईश्वर का स्मरण कर रहे हैं। इसमें कितना आनंद है। ऐसा करने से न तो आपके पास तनाव फटकेगा और न ही कोई डर सताएगा। आप जीवन में एक सुखी इंसान की तरह रहेंगे।

3 comments:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

सत्य वचन.

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर सुझाव है आभार्

RAJ said...

अतिसुन्दर.......
पढ़ कर मन को बड़ी शांति हुई ......