Monday, April 11, 2011

नींद में हम किस अवस्था में होते हैं



विनय बिहारी सिंह


जब हम गहरी नींद में होते हैं तो हम कहां सोए हैं, संसार क्या है, हमारा संबंधी कौन है आदि बातों का कुछ पता नहीं होता। हम पूरी तरह अवचेतन स्थिति में रहते हैं। ऋषियों ने कहा है कि भगवान ने हमें नींद इसलिए दी है ताकि हम अपनी वास्तविक स्थिति समझ सकें। वास्तविकता क्या है? हम यह शरीर नहीं हैं, बल्कि शुद्ध आत्मा हैं। लेकिन हम नींद के बारे में बहुत गहराई से नहीं सोचते। बस मान लेते हैं कि नींद गहरा विश्राम है। लेकिन इस विश्राम के पीछे एक गहरा रहस्य छुपा हुआ है। यह कि हम मात्र यह भौतिक शरीर नहीं हैं। एक कहावत भी है- नींद न जाने टूटी खाट, भूख न जाने जूठा भात।। हम जीवन को इतनी सरलता से लेते हैं कि इसका रहस्य हमारी आंखों के सामने नहीं आता। भगवान कृष्ण ने गीता में अर्जुन से कहा है- अर्जुन तेरे और मेरे कई जन्म हो चुके हैं, लेकिन तू उन जन्मों को नहीं जानता, लेकिन मैं जानता हूं। भगवान की लीला अपरंपार है। मनुष्य के दिमाग की सीमाएं हैं। ईश्वर ने हमारे दिमाग को बनाया है, फिर हम इससे ईश्वर को कैसे जान सकते हैं। इसका भी उपाय भगवान कृष्ण ने गीता में बताया है- जो मेरा अनन्य भक्त है, जिसका कोई शत्रु नहीं है, वह भक्त मुझे जान सकता है, पा सकता है। अनन्य भक्त। अनन्य यानी न अन्य। अन्य कोई नहीं सिर्फ भगवान। सच भी है। परमहंस योगानंद जी ने कहा है- इस ब्रह्मांड के स्रष्टा भगवान सबको भोजन दे रहे हैं लेकिन खुद छुपे हुए हैं। यह इसलिए कि वे चाहते हैं कि उनकी संतानें यानी हम सब उन्हें ढूंढ़ें। जब हम उन्हें ढूंढ़ने लगते हैं तो वे और छुपने लगते हैं। फिर एक झलक दिखा कर गायब हो जाते हैं। यह सब लुका- छिपी का खेल हर व्यक्ति अपनी संतान से खेलता है। इसलिए भगवान भी खेलते हैं। भक्त कहता है- प्रभु, आप भले ही मुझसे छिपते फिरें, मैं आपको प्रेम करना नहीं छोड़ सकता। आप नहीं दिखते हैं तो भी आप हैं और जब झलक दिखाते हैं तो हैं ही। आपका न आदि है और न अंत। मैं भी आपकी संतान हूं और छुपेंगे कैसे? आपके अलावा मुझे और कौन प्रेम कर सकता है। आपने मुझे जन्म दिया है इसलिए मेरा भार भी आप लीजिए। मैं आपके बिना नहीं रह सकता।

2 comments:

Asha Joglekar said...

बहुत आनंद आया ।

आकाश सिंह said...

बहुत खूब |
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