विनय बिहारी सिंह
कल एक सन्यासी ने कहा- अनेक लोग यह याद नहीं रखते कि उन्हें एक दिन इस पृथ्वी से जाना पड़ेगा। अगर याद रहता तो फिर वे गलत कामों में लिप्त नहीं होते। किसी को सताते नहीं। अनैतिक काम नहीं करते। उन्हें तो लगता है कि जितना सुख है बटोर लो। जबकि सच्चाई यह है कि जिसे वे सुख समझते हैं, वह दरअसल दुख का जंजाल होता है। भगवत गीता में भगवान ने कहा है- मन पर नियंत्रण करने से इंद्रियों पर नियंत्रण हो जाएगा। वरना यह नौ द्वारों वाला शरीर व्यर्थ ही दुख पाता रहेगा। इंद्रियों का सुख असली सुख नहीं है। असली सुख तो ईश्वर में है। लेकिन उन लोगों को होश नहीं है जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्हें लगता है कि इससे वे अधिक धनी, अधिक सुखी और सुरक्षित रहेंगे। जबकि सच्चाई यह है कि जिस दिन उनका समय आ जाएगा, उनको इस संसार से विदा लेना ही पड़ेगा। जिस शरीर के सुख के लिए इतना हाय- हाय करते थे, वह शरीर यहीं पड़ा रह जाएगा और उसे आग में जला कर राख कर दिया जाएगा। तब सारे रिश्ते- नाते, धन- संपत्ति व्यर्थ हो जाएंगे। वह व्यक्ति अपनी कामनाओं के मुताबिक फिर किसी और परिवार में जन्म लेगा। उसके नए माता- पिता और भाई- बहन होंगे। फिर वही बचपन, जवानी और अंत में बुढ़ापा। इसे याद नहीं रखने से मन सदा चंचल ही रहेगा। सदा असंतुष्ट ही रहेगा। इसीलिए जो बुद्धिमान हैं, वे सीधे ईश्वर की शऱण में चले जाते हैं। वे कहते हैं- भगवन, हम अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी और परिश्रम से पूरा करेंगे। लेकिन बिना आपकी मदद के कुछ भी संभव नहीं है। इसलिए हमें अच्छे काम करने की शक्ति और सामर्थ्य दीजिए।
1 comment:
.सार्थक पोस्ट, , जानकारी से भरी स्वागत योग्य
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