Tuesday, April 26, 2011

हनुमान जी अपनी छाती चीर कर दिखा रहे हैं



विनय बिहारी सिंह






किसी ने कहा कि राम कहां हैं? हनुमान जी ने अपनी छाती चीर कर दिखा दी- राम यहां हैं। मेरे हृदय में। क्या अद्भुत प्रसंग है। राम, हनुमान जी के हृदय में बसते हैं। हम अक्सर एक फोटो देखते हैं जिसमें हनुमान जी अपनी छाती चीर कर दिखा रहे हैं कि राम और सीता उनके हृदय में हैं। भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है मैं जीवों के हृदय में रहता हूं। हृदय स्थान ही वह पवित्र स्थान है जहां भगवान का वास है। वही वृंदावन है। रामकृष्ण परमहंस ने कहा है कि हनुमान जी से किसी ने पूछा कि आप भगवान राम को किस रूप में देखते हैं? हनुमान जी ने कहा- कभी तो मैं देखता हूं कि राम प्रभु हैं और मैं उनका भक्त। कभी देखता हूं कि राम मालिक हैं और मैं सेवक। लेकिन कभी यह भी देखता हूं कि राम और मैं एक ही हैं। कोई भेद नहीं है। क्या अद्भुत प्रसंग है। भक्त और भगवान में कोई भेद नहीं है। कहीं हनुमान जी को करताल बजाते हुए- राम राम राम का जप करते हुए दिखाया गया है। उनकी आंखें बंद हैं। वे भाव विभोर हैं। ऐसे चित्र को देख कर मन नहीं भरता। दूसरा मनभावन चित्र है- भगवान शिव का। आंखें बंद। शिव जी गहरी समाधि में लीन हैं। होठों पर मनोहारी मुस्कान है। आप मुग्ध होकर देखते रहें यह छवि। मन नहीं भरेगा।

1 comment:

vandana gupta said...

अकाटय सत्य है।