चैत्र महीने की नवरात्रि का खास महत्व है। चैत्र के इन दिनों में मनुष्य के मेरुदंड मे स्थित चक्र विशेष रूप से सक्रिय होते हैं। इन्हें पुष्ट करने के लिए इन नौ दिनों में मां दुर्गा यानी शक्ति की देवी की पूजा की जाती है। इससे हमारे जीवन की विघ्न- बाधाएं तो खत्म होती ही हैं, जीवन में उम्मीद की नई किरणें फूटती हैं। नवरात्रि के पहले दिन (यानी आज) देवी दुर्गा की अराधना करने वाले घरों में सुबह विधिवत पूजा- पाठ और आरती होती है। मां दुर्गा शक्ति की प्रतीक हैं। इन नौ दिनों में माता दुर्गा की उनके नौ रूपों की स्मृति में पूजा होती है। पहले दिन शैलपुत्री यानी हिमालय की पुत्री (मां पार्वती) के रूप में पूजा की जाती है। दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी (यानी ब्रह्म में लीन रहने वाली तपस्विनी) के रूप में, तीसरे दिन चंद्रघंटा (सौंदर्य और चरम साहस की प्रतीक), चौथे दिन कुशमांडस (जगत की उत्पत्ति करने वाली), पांचवे दिन स्कंदमाता (भगवान की सर्वश्रेष्ठ सेनानायक), छठे दिन कात्यायनी (तीन नेत्रों वाली यानी दिव्य चक्षु को धारण करने वाली), सातवें दिन कालरात्रि (भक्तों का भय हरण करने वाली), आठवें दिन महागौरी (शांत और ग्यान का केंद्र) और नौवें दिन सिद्धिदात्री (अष्ट सिद्धियों को देने वाली) के रूप में उनकी पूजा की जाती है। शक्ति के नौ रूप कहे गए हैं। ये नौ रूप मां दुर्गा के ही नौ रूप हैं- १- दुर्गा २- भद्रकाली ३- अंबा या जगदंबा ४- अन्नपूर्णा ५- सर्वमंगला ६- भैरवी ७- चंद्रिका या चंडी ८- ललिता और ९- भवानी। ये सभी रूप मां के विभिन्न पहलुओं को संक्षेप में बताते हैं। लेकिन मां की शक्तियों का वर्णन करना मनुष्य के वश में नहीं है। यह सारे वर्णन उनकी शक्ति के एक अंश मात्र हैं। जो समूचे ब्रह्मांड को धारण करने वाली हैं, उनका वर्णन कौन कर सकता है? मनुष्य के वश में तो उनका वर्णन करना संभव नहीं है। फिर भी जगन्माता की भक्ति, भक्त को कुछ न कुछ लिखवा ही लेती है। आखिर आदि शक्ति यानी मां दुर्गा की अराधना करने के लिए शब्द तो चाहिए होते हैं न। वरना मनुष्य जगन्माता के प्रति प्रेम कैसे प्रकट करता?
1 comment:
सार्थक चिंतन्।
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