ब्रिटेन में वैज्ञानिकों का कहना है कि मनुका शहद का इस्तेमाल कई ऐसे संक्रमणों से निपटने में किया जा सकता है जिनपर शक्तिशाली एंटीबायोटिक भी बेअसर साबित हुए हैं.
प्रयोगशाला में किए गए प्रयोगों से पता चला है कि मनुका शहद मवाद वाले घाव और अस्पतालों की संदूषित सतह पर पाए जानेवाले बैक्टीरिया का सफ़ाया कर सकता है.
एंटीबायोटिक के प्रभाव को बेअसर करने के लिए बैक्टीरिया जिस प्रतिरोध शक्ति का इस्तेमाल करते हैं, मनुका शहद उसे कमज़ोर कर डालता है.
इस शहद की इसी खूबी की वजह से ये एमआरएसए जैसे सुपरबग संक्रमण के इलाज में भी मददगार साबित हुआ है.
सुपरबग वैसे बैक्टीरिया होते हैं जिनपर ज़्यादातर एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर साबित हुई हैं.
मनुका शहद पर किए गए प्रयोग के नतीजे 'सोसायटी फ़ॉर जेनरल माइक्रोबायोलॉजी' के सम्मेलन में पेश किए गए.
वेल्स यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर रोज़ कूपर ने पाया किये शहद काफ़ी असरदार है. इस शहद को मधुमक्खियां न्यूज़ीलैंड के मनुका वृक्षों से पराग इकट्ठा करती हैं.
प्रतिरोध क्षमता का मुक़ाबला
पूरी दुनिया में ज़ख्मों के इलाज के लिए इस शहद का पहले से ही इस्तेमाल किया जा रहा है.
वैसे भी सदियों से लोग शहद की औषधीय शक्तियों की जानकारी रखते आए हैं और ज़ख़्मों के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल भी करते रहे हैं.
शोधकर्ता मनुका शहद में मौजूद बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता को और बेहतर तरीक़े से जान लेना चाहते थे ताकि हमारे अस्पतालों में पाए जाने वाले कुछ बेहद मुश्किल बैक्टीरिया संक्रमणों से निपटा जा सके.
प्रोफ़ेसर कूपर ने दो सबसे सामान्य बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोक्की और स्यूडोमोनड्स पर किए प्रयोगों के आधार पर निष्कर्ष दिया कि मनुका शहद बैक्टीरिया को कोशिकाओं तक पहुंचने से रोक देता है जो कि किसी भी गंभीर संक्रमण की शुरुआत की सबसे अहम कड़ी होती है.
प्रोफ़ेसर कूपर ने कहा,''प्रयोगों के आधार पर ये संकेत मिलता है कि दवाओं को बेअसर करनेवाले संक्रमणों के इलाज के लिए मनुका शहद को अगर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ मिलाकर दिया जाए तो ये ज़्यादा असरदार साबित हो सकता है.''
हालांकि प्रोफ़ेसर कूपर ने लोगों को चेतावनी दी कि वो ख़ुद अपने घरों पर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ बाज़ार से ख़रीदा शहद मिलाकर मरीज़ को न दें क्योंकि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि इसके लिए ब़ाज़ार का शहद नहीं बल्कि ख़ासतौर से तैयार किए गए मेडिकल ग्रेड शहद का इस्तेमाल किया जाता है.इसलिए लोगों को अपने घरों में ये प्रयोग नहीं करना चाहिए.
(courtesy- BBC Hindi service)