विनय बिहारी सिंह
सोने से पहले न जाने कितनी बातें हमारे दिमाग में रहती हैं। लेकिन सोने के बाद सब कुछ भूल जाता है। यह सब कांशस स्टेट है। सोते वक्त हमारी सारी इंद्रियां शिथिल पड़ जाती हैं। हम पूरे आराम में होते हैं। हमारी नींद तब और अच्छी होती है जब कोई सपना नहीं आता। एकदम गहरी यानी संपूर्ण नींद से जब आप जागते हैं तो कहते हैं- आज बड़ी अच्छी नींद आई। रमण महर्षि कहते हैं- जाग्रत अवस्था में भी नींद वाली मनःस्थिति में रहना सीखिए। उनका कहने का अर्थ यह नहीं कि दिन में भी सोते रहिए। बल्कि जिस तरह जागते ही हमारा दिमाग संसार के प्रपंच में फंस जाता है और नींद की शांति गायब हो जाती है, उससे बचने की सलाह दे रहे हैं महर्षि। हमारा दिमाग न जाने कहां कहां दौड़ता रहता है। बेमतलब की जगहों पर भी जाता है और इस तरह समय बर्बाद होता है। कई लोगों का तो कहना है कि बंधन मुक्त दिमाग ही ठीक है यानी दिमाग जहां जाए वहां जाने दिया जाए। यही मुक्ति है। संतों ने कहा है ऐसी सोच गलत है। दिमाग को नियंत्रण में रखना होगा। दिमाग वह घोड़ा है जिसे अगर काबू में रखा गया तो मनुष्य की दुनिया ही बदल सकती है। लेकिन अगर उसे फ्री छोड़ दिया गया तो वह मनुष्य को बेचैन कर देगा। न जाने क्या- क्या सोचता है। रमण महर्षि ने कहा है- माइंड इज बंडल आफ थाट्स। भगवान बुद्धि के परे है। यानी जब ध्यान करना है तो चिंतन मुक्त होना पड़ेगा। माइंड को नकारना पड़ेगा। यानी माइंड के पार जाना पड़ेगा। क्योंकि जब तक एक भी विचार या एक भी कामना आपके मन में है, दिमाग उधर ही जाएगा। भगवान की तरफ जाएगा ही नहीं। इसलिए दिमाग को नकार देना पड़ेगा। यानी दिमाग को चिंतन मुक्त करना पड़ेगा। यह अचानक एक दिन में नहीं हो सकता। ऋषियों ने कहा है कि यह काम धीरे- धीरे ही संभव है। ध्यान यानी कंप्लीट एब्जार्ब्शन आफ माइंड इन टू गॉड। गीता के मुताबिक जैसे कोई दिया की लौ बिना हवा के स्थान पर लगातार स्थिर रहती है, बिना हिले- डुले, ठीक उसी तरह मनुष्य का दिमाग लगातार ईश्वर पर केंद्रित रहना चाहिए। ऐसा करते रहने से एक दिन अचानक ईश्वर की अनुभूति होगी और आप आनंद के सागर में डूब जाएंगे। आपका हृदय ईश्वरमय हो जाएगा।
1 comment:
Bahut hi achi baat kahi hai.....
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