Wednesday, August 26, 2009

शरणागति से मिलते हैं ईश्वर

विनय बिहारी सिंह

आप लाख बार कहिए कि सबके मालिक ईश्वर हैं, लेकिन कुछ लोग स्वीकार में सिर हिला कर भी दिल से नहीं मानते कि ईश्वर ही हमारा मालिक है। यह बात आश्चर्यजनक भी लगती है। कई लोग समझते हैं कि करने वाले वे ही हैं। अगर उन्होंने कोई कोठी बनाई, कोई व्यवसाय खड़ा किया या कोई पराक्रम किया तो वे यह मानते ही नहीं कि इसमें ईश्वर का कोई हाथ है। उनको लगता है कि जो किया मैंने किया। मैं, मैं और मैं। मनुष्य की औकात क्या है? हम भोजन करने के लिए जो हाथ उठाते हैं, वह भी ईश्वर की ही शक्ति से होता है। हमारे शरीर में जो खून दौड़ता है, वह भी ईश्वर की ही कृपा से। हमारे शरीर में जो प्राण है, वह भी ईश्वर की ही कृपा से। ईश्वर ही हमारा आधार है। लेकिन मजा देखिए कि हम सारी दुनिया को याद करते हैं लेकिन ईश्वर को नहीं। लेकिन ईश्वर चुपचाप हमारी मदद करते हैं। सोचते हैं कि शायद हम लोग उनकी याद करें। परमहंस योगानंद जी कहते हैं- जब भी हम उन्हें याद करते हैं, वे मुस्कराते हैं। जब दुनिया के सारे लोग हमारा साथ छोड़ देते हैं तो हमारे साथ कौन होता है? सिर्फ भगवान। जब भी आप अकेले होते हैं, दुखी होते हैं या बेचैन होते हैं तो भगवान हमारे साथ होते हैं। ऐसे प्रिय को हम भुला देते हैं। हम समझते हैं कि भगवान को न भी याद करें तो हमारा काम चल जाएगा। लेकिन अगर भगवान कह दे कि हमारे पास भी समय नहीं है, तब? परमहंस योगानंद जी की बातें दिल में उतर जाती हैं। उन्होंने कहा है- हमेशा ईश्वर को याद रखें। वह हमारे शरीर में हृदय के रूप में, हमारे खून के रूप में उपस्थित है। वह हरी घास में भी है और एक फूल में भी। उसी की ऊर्जा से सारा संसार संचालित हो रहा है। आप व्यस्त हैं अपने आफिस में, व्यवसाय में और तरह- तरह के कामों में। लेकिन यह व्यस्तता यहीं छोड़ कर एक दिन अचानक हमें यहां जाना पड़ेगा। कहां? ईश्वर के पास। तब भी वे यह नहीं कहते कि क्यों तुमने मुझे याद नहीं किया। वे हमसे प्यार ही करते रहते हैं। हमें उन्होंने फ्री विल यानी स्वेच्छा से काम करने की आजादी दी है। हम गलत भी करते हैं तो वे हमारी आत्मा के माध्यम से हमें सचेत करते हैं लेकिन हम अगर उनकी आवाज को कांशस को दबा कर कोई काम करने लगते हैं तो इसके लिए भगवान तो जिम्मेदार नहीं हैं। इसी फ्री विल का दुरुपयोग कर करके तो हमारी दुर्गति हो रही है। हम अपनी आदतों के गुलाम हैं, अपनी सोच के ढर्रे के गुलाम हैं और अपनी कामनाओं के गुलाम हैं। यही सब हमें नचा रहे हैं और हम नाच रहे हैं। भगवान को भूल कर। एक बार भगवान को दिल से याद करके तो देखिए। वे ही सर्वशक्तिमान हैं, सर्वग्याता हैं और सर्वव्यापी हैं।

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