Monday, August 17, 2009

मृत्यु के बाद आदमी जाता कहां है?

विनय बिहारी सिंह

मनुष्य के मन में बहुत सारी उत्सुकताएं रहती हैं। इनमें से एक है- मृत्यु के बाद आदमी जाता कहां है? या अन्य जीव जंतु कहां जाते हैं? तो सबसे पहला उत्तर हमें गीता में मिलता है। उसमें भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है- जिसका जन्म होता है, उसकी मृत्यु निश्चित है और जिसकी मृत्यु होती है उसका जन्म निश्चित है। यानी मरने के बाद मनुष्य का फिर जन्म होता है। गीता के दूसरे अध्याय में भगवान कृष्ण ने कहा है- जैसे मनुष्य कपड़े पुराने होने पर उसे बदल कर नया कपड़ा पहनता है, ठीक उसी तरह जीव का शरीर जब पुराना पड़ जाता है तो वह यह शरीर या चोला छोड़ कर दूसरे नए शरीर में चला जाता है। गीता से हमें कई रहस्यमय प्रश्नों का उत्तर मिल जाता है। अन्य संतो और ऋषि- मुनियों ने भी कहा है कि हमारी कामनाएं हमें बार- बार जन्म लेने को मजबूर करती हैं वरना मनुष्य सुखी रहता। वह कामना करता है, कामना के कारण लोभ, क्रोध, ईर्ष्या और तरह- तरह के तनावों से गुजरना पड़ता है। जब हमारी मृत्यु होती है तो कुछ दिनों के भीतर ही फिर हम अपनी कामनाओं को लिए हुए वापस किसी माता के गर्भ में आते हैं। कुछ संतों ने कहा है कि इधर मृत्यु हुई और उधर किसी माता के गर्भ में जन्म हुआ- इस तरह की अनेक घटनाएं होती हैं। फिर नई माता, नए पिता, नए मित्र, फिर वही बचपन, जवानी, बुढापा, रोग- व्याधि और बेटे- बेटी व पोते- पोती का चक्कर। फिर उनके लिए नौकरी या व्यवसाय का चक्कर। फिर अपनी प्रतिष्ठा के लिए हाय- हाय। तो गीता में इसका उपाय क्या है? भगवान कृष्ण ने कहा है-
सर्व धर्मान परित्यज्ये मां मेकम, शरणम व्रज।।
यानी सारे काम मेरे लिए कर रहे हो, यह मान कर चलो। (अठारहवां अध्याय) जब पूर्ण शरणागति होगी तो मैं तुम्हारे सुख- दुख का ख्याल रखूंगा। सब कुछ मेरे ऊपर छोड़ दो। बांग्ला भाषा में कहा जाता है- अपने भक्त से मां काली कहती हैं- भय की रे पागल, आमी तो आछी ( डर क्यों रहे हो पगले, मैं तो हूं ही)। जितने भी मां काली के सच्चे भक्तों को मैंने देखा है, वे सभी निर्भय और निश्चिंत हो कर जीते हैं। उन्हें कोई चिंता नहीं रहती। जो होगा, मां काली देखेंगी, मुझे क्या चिंता करना है। उनका यह भाव देख कर अच्छा लगता है। ऐसे लोगों को मैंने बहुत करीब से देखा है। उनका जीवन बड़ा सुखी रहता है। वे मां- मां कहते रहते हैं और अपना भार मां काली पर छोड़ देते हैं। ऐसे ही एक भक्त को मैंने गाते सुना है-
कोले तूले ने मां काली, कालेर कोले दिस ना फेले।।
(अपनी गोद में ले लो मां काली, काल की गोद में मत फेंको)।।

2 comments:

rakemdra said...

bahut pasand aaya

VEERENDRA BARVE said...

kripaya sampoorna vivaran deve, maine ek pustak padhi thi jiska naam hai Mrityu k Baad, lekhak kehta hai ki mrityu k baad Jeev kuch 7 dino tak Bhatakta rehta hai, aur uske daah ke pashchat teji se apni chitt-vrittiyan tyagne lagta hai, jaise hi uski samasta Kamnaen jo k purva janm me adhuri thi khatm ho jati hai, wo naya sharir takriban 3 maah me dharan kar leta hai.. aapke is par kya vichar hai??