Thursday, July 29, 2010

मनुष्य का शरीर किन तत्वों से बना

विनय बिहारी सिंह


महात्मा गांधी ने सात अप्रैल १९४६ के हरिजन सेवक में लिखा है-
मनुष्य का भौतिक शरीर पृथ्वी, पानी, आकाश, तेज और वायु नाम के पांच तत्वों से बना है, जो पंचमहाभूत कहलाते हैं। इनमें से तेज तत्व शरीर को शक्ति पहुंचाता है। आत्मा उसको चैतन्य प्रदान करती है। इन सबमें सबसे जरूरी चीज हवा है। आदमी बिना खाए कई हफ्तों तक जीवित रह सकता है, पानी के बिना भी वह कुछ घंटे बिता सकता है। लेकिन हवा के बिना तो कुछ ही मिनटों में उसकी देह का अंत हो सकता है। इसलिए ईश्वर ने हवा को सबके लिए सुलभ बनाया है। अन्न और पानी की तंगी कभी- कभी पैदा हो सकती है, हवा की कभी नहीं। ऐसा होते हुए भी हम बेवकूफों की तरह अपने घरों के अंदर खिड़की और दरवाजे बंद करके सोते हैं और ईश्वर की प्रत्यक्ष प्रसादी सी ताजी और साफ हवा से फायदा नहीं उठाते। अगर चोरों से डर लगता है तो रात में अपने घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखिए, लेकिन खुद अपने को उनमें बंद रखने की क्या जरूरत है?
साफ और ताजी हवा पाने के लिए आदमी को खुले में सोना चाहिए। लेकिन खुले में सोकर धूल और गंदगी से भरी हवा लेने का कोई मतलब नहीं। इसलिए आप जिस जगह सोएं, वहां धूल और गंदगी नहीं होनी चाहिए। धूल और सरदी से बचने के लिए कुछ लोग सिर से पैर तक ओढ़ लेने के आदी होते हैं। यह तो बीमारी से भी बदतर इलाज हुआ। दूसरी बुरी आदत मुंह से सांस लेने की है। नथनों की राह फेफड़ों में पहुंचने वाली हवा छन कर साफ हो जाती है और उसे जितना गरम होना चाहिए उतनी गरम भी वह हो लेती है।
जो आदमी जहां चाहे वहां और जिस तरह चाहे उस तरह थूक कर, कूड़ा- करकट डाल कर या गंदगी फैला कर या दूसरे तरीकों से हवा गंदी करता है, वह कुदरत का गुनाहगार है। मनुष्य का शरीर ईश्वर का मंदिर है। उस मंदिर में जाने वाली हवा को जो गंदी करता है वह मंदिर को बिगाड़ता है। उसका रामनाम लेना फजूल है।
- हरिजन सेवक में गांधी जी के विचा

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