Monday, July 12, 2010

एक अनजाने व्यक्ति का प्रेम


विनय बिहारी सिंह

आज एक अपरिचित व्यक्ति ने मुझे प्रेम से बिठा कर चाय पिलाई। हुआ यह कि मेरे एक उपकरण के स्क्रू की लंबायमान घुंडी टूट गई थी क्योंकि वह प्लास्टिक की थी। वह स्क्रू बेकार हो गया था। दूसरा उसी तरह का स्क्रू नहीं मिल पा रहा था। इसलिए तय किया कि स्क्रू में लोहे की घुंडी की वेल्डिंग करा दी जाए। जैसी घुंडी तिजोरी की होती है। तिजोरी की घुंडी गोल होती है और मेरी घुंडी लंबाई में थी- ठीक अंग्रेजी के टी अक्षर की तरह। इस टी का लंबा वाला हिस्सा तो था, लेकिन ऊपर वाला हिस्सा जो किसी हिंदी के अक्षर पर लाइन खींचने जैसा होता है, वही टूट गया था। मैं वेल्डिंग की दुकान पर गया और दुकानदार से अपनी समस्या बताई। उसने बड़े आदर से कहा- काकू (चाचा) आप ठीक जगह पर आए हैं। जो काम कहीं नहीं होता, वह मैं कर देता हूं। उसने मुझे सम्मान के साथ एक स्टूल पर बिठाया और चाय मंगवा कर पिलाई। मैं लाख ना ना करता रहा, उसने कहा- जब तक आप चाय नहीं पीएंगे, आपका काम नहीं करूंगा। मैंने चाय पी ली। उसने प्लास्टिक की जगह लोहे की घुंडी इस तरह प्रेम से जोड़ दी कि वह अत्यंत मजबूत हो गया। उसने कहा- काकू मैंने ऐसा बना दिया है कि यह आपके जीवन में कभी टूटेगा ही नहीं। सच था।
उसकी दुकान अच्छी खासी चल रही थी। ग्राहक अपनी मरम्मत की हुई वस्तु ले जा रहे थे और रुपए देते जा रहे थे। उससे मैंने ज्यादा बात भी नहीं की। बस, इतना ही कहा कि लोगों ने तुम्हारी दुकान का पता बताया है औऱ कहा है कि तुम इसे ठीक कर दोगे। मुझे भरोसा है कि तुम इसे बना दोगे। पता नहीं क्यों उसे यह बात अच्छी लगी और उसने चाय पिलाए बिना मेरे स्क्रू की मरम्मत नहीं की। कोलकाता में लोग परिचितों को भी चाय पिलाने से कतराते हैं। लेकिन इस दुकानदार ने जिसकी दुकान पर मैं पहली बार गया था और जो मुझे पहचानता भी नहीं था, अत्यंत आदर के साथ मुझे चाय पिलाई। मेरे जीवन में ऐसी अनेक घटनाएं हुई हैं। कई अनजाने लोगों ने ऐसा व्यवहार किया है मानो वे मुझे जानते हों। जब इसका कोई कारण नहीं दिखता तो मन एक ही बात कहता है- यह ईश्वर का स्नेह है।

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