राम नाम से निश्चित सहायता
विनय बिहारी सिंह
आज महात्मा गांधी के लिखे एक महत्वपूर्ण लेख का छोटा सा अंश पढ़ने को मिला। इस आनंददायक लेख को आप भी पढ़ें।
महात्मा गांधी ने लिखा है- इसमें कोई शक नहीं कि रामनाम सबसे ज्या और निश्चित सहायता करता है। अगर दिल से उसका जप किया जाए तो वह हर एक बुरे ख्याल को तुरंत दूर कर सकता है। और जब बुरा ख्याल मिट गया, तो उसका बुरा असर होना संभव नहीं है। अगर मन कमजोर है, तो बाहर की सारी सहायता बेकार है, और अगर मन पवित्र है, तो भय क्यों? इसका यह मतलब हरगिज नहीं समझना चाहिए कि एक पवित्र मन वाला आदमी सब तरह की छूट लेते हुए भी बेदाग बचा रह सकता है। ऐसा आदमी खुद ही अपने साथ कोई छूट न लेगा। उसका सारा जीवन ही उसकी भीतरी पवित्रता का सच्चा सबूत होगा। गीता में ठीक ही कहा है कि आदमी का मन ही उसे बनाता है और वही उसे बिगाड़ता भी है। मिल्टन कहता है- मनुष्य का मन ही सब कुछ है, वही स्वर्ग को नरक और नरक को स्वर्ग बना देता है।
एक अन्य जगह पर गांधी जी कहते हैं- प्रार्थना केवल शब्दों की या कानों की कसरत नहीं है। वह किसी निरर्थक मंत्र या सूत्र का जप नहीं है। अगर राम नाम आत्मा को जाग्रत न कर सके, तो आप उसका कितना भी जप क्यों न करें, सब व्यर्थ जाएगा। यदि आप शब्दों के बिना भी हृदय से भगवान की प्रार्थना करें तो वह उस प्रार्थना से कहीं अच्छी है जिसमें शब्द तो बहुत हैं, परंतु हृदय नहीं है। प्रार्थना उस आत्मा की मांग के स्पष्ट उत्तर में होनी चाहिए, जो हमेशा उसकी भूखी रहती है।..... मैं अपने और अपने साथियों के अनुभव से यह कहता हूं कि जिसने प्रार्थना के चमत्कार का अनुभव किया है, वह भोजन के बिना तो कई दिनों तक रह सकता है, लेकिन प्रार्थना के बिना एक क्षण भी नहीं रह सकता क्योंकि प्रार्थना के बिना आंतरिक शांति नहीं मिलती।
2 comments:
बिल्कुल सही विश्लेषण किया।
प्रार्थना के बिना एक क्षण भी नहीं रह सकता क्योंकि उसे आंतरिक शांति नहीं मिलती।
हम परमात्मा से नाराज होने का कितना ही स्वांग कर लें लेकिन अंत में शांति देने वाला वही है।
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