Thursday, July 1, 2010

पिघलने की कला आनी चाहिए

विनय बिहारी सिंह

एक सन्यासी ने कहा है- ईश्वर से मिलने के लिए भक्त को ईश्वर में पिघलने की कला आनी चाहिए। कैसे? भक्त कल्पना करे कि ईश्वर एक महाप्रकाश पुंज हैं और भक्त प्रकाश पुंज बन कर उसी में पिघल रहा है। ईश्वर का प्रकाशपुंज आनंद से ओतप्रोत है। भक्त भी उसमें पिघल कर आनंद से ओतप्रोत हो रहा है।

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