Monday, May 31, 2010

एक आदमी ने आत्महत्या की, सैकड़ों प्रभावित हुए


विनय बिहारी सिंह

मेट्रो रेल के एक स्टेशन- शोभा बाजार पर ट्रेन के सामने कूद कर एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली। यह कोलकाता महानगर की घटना है। आत्महत्या से दुखों का अंत नहीं होता। कुछ लोगों को भ्रम होता है कि जान दे देने से तनाव का अंत हो जाता है। लेकिन पहले घटना जान लें फिर इसके परिणामों पर चर्चा करेंगे। मेट्रो रेल की पटरियों के पैरलल एक थर्ड लाइन होती है। उसमें बिजली का हाई वोल्टेज करेंट होता है। मेट्रो रेल की पटरियों पर कूदने वाला व्यक्ति ट्रेन से कटता ही है, उसे हाई वोल्टेज करेंट भी लगता है। ऐसा भी हुआ है कि कूदने वाले व्यक्ति को बचा लिया गया है। ड्राइवर ने ब्रेक लगा दिया और कूदने वाला व्यक्ति थर्ड लाइन के संपर्क में नहीं आया। लेकिन ज्यादातर मामले में मौत हो जाती है। अब आत्महत्या करने वाला तो रेल पटरी पर कूद गया। ट्रेन जहां की तहां ठप। ट्रेनों की आवाजाही बंद हो गई। कई सौ लोग जहां के तहां फंसे रहे। दमदम मेट्रो स्टेशन पर भारी भीड़ थी। जाहिर है जब ट्रेन नहीं चल रही थी तो विभिन्न जगहों पर जाने वाले लोग जुटते जा रहे थे। भीड़ बढ़ती जा रही थी। मैं भी उसी भीड़ का हिस्सा था। राहत की बात यह थी कि मुझे टिकट नहीं लेना था। मेरे पास स्मार्ट कार्ड था। सारे यात्रियों के चेहरे पर परेशानी झलक रही थी। किसी को कार्यालय जाना था, किसी को किसी से मिलना था तो किसी को मीटिंग में जाना था। सब बेहाल थे। एक व्यक्ति ने आत्महत्या की और इतने लोगों को परेशान कर गया। जब स्टेशन से लाश हटाई गई और ट्रेनें चलने लगीं तब जा कर लोगों को राहत मिली। लेकिन हर ट्रेन में भारी भीड़।
आत्महत्या करने वाले ने समझा होगा कि उसे दुखों से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन संतों ने कहा है कि ऐसा होता नहीं है। आत्महत्या करने वाली आत्माएं बहुत समय तक भटकती रहती हैं। उन्हें सूक्ष्म लोक में भी कष्ट और परेशानी रहती है। इसीलिए कहा जाता है कि आत्महत्या पाप है। कभी भी आत्महत्या की बात नहीं सोचनी चाहिए। यह ईश्वर के नियम में दखल देना है और इसका परिणाम बहुत दुखद होता है।

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