ईश्वर को समर्पित
मित्रों,
साध्वी इंग्रिड हेंजलर ने इस ब्लाग के लिए एक बहुत ही सुंदर कविता भेजी है। उनकी कविता ईश्वर के प्रेम से सराबोर है।
यह कविता पहले अंग्रेजी में और फिर अनूदित रूप में हिंदी में आपके सामने है। मुझे यह कविता इतनी सुंदर लगी कि इसे आपको पढ़वाने से रोक नहीं सका। हम ईश्वर के रास्ते में सांसारिक आकर्षणों में खो जाते हैं और भूल जाते हैं कि हम ईश्वर की तरफ यात्रा कर रहे थे। रंग- विरंगे रिश्ते, चीजें और अन्यान्य आकर्षण हमें नचाते रहते हैं। आप सभी जानते हैं कि इंग्रिड ईश्वर प्रेम के अलावा कुछ जानती ही नहीं। उनका रोम- रोम, उनका मन, उनकी आत्मा और उनका संपूर्ण अस्तित्व ईश्वरमय है। उनकी सांसें ईश्वर को समर्पित हैं। सबसे पहले अंग्रेजी में यह कविता, फिर उसके नीचे हिंदी में।
Lost once more
Ingrid Henzler
lost once more
in the beauty
of leaves
in golden trees
in the infinite sky
Incarnations
I roamed
I searched
Divine love
and almost
reached
my goal
Dying
I surrender
I dissolve
in the water
becoming one
with You
and all
So much love
that it hurts
It hurts
like needles
it burns
like a fire
but
I have
no choice
I have given
myself
to love
खो गई एक बार फिर
इंग्रिड हेंजलर
खो गई एक बार फिर
पत्तियों के सौंदर्य में
सुनहरे पेड़ों में
अनंत आकाश में
जन्म जन्मांतर से
घूम रही हूं मैं
खोज रही हूं मैं
दिव्य प्रेम
और लगभग
पहुंच जाती हूं
अपने लक्ष्य तक
मर रही हूं
शरण में हूं तुम्हारे
घुल जाती हूं
पानी में
एक हो जाती हूं
तुम्हारे साथ
और बस
इतना प्रेम
कि देता है यह कष्ट
देता है यह कष्ट
सुई की तरह
जलाता है यह
आग की तरह
लेकिन
मेरे पास
नहीं है कोई विकल्प
मैंने सौंप दिया है
खुद को
प्यार के हवाले।।
(अंग्रेजी से अनुवाद- विनय बिहारी सिंह)
2 comments:
वाह! बहुत अच्छा लगा पढ़ कर, बहुत ही सुन्दर कविता है, धन्यवाद्!
gazab ki prastuti..........yahi to ishwariya prem ka saar hai........ekakar ho jana.........apne astitiva ko vilin kar dena.
pls read ---http://redrose-vandana.blogspot.com
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