Monday, May 3, 2010

एक दादी मां की कथा

विनय बिहारी सिंह


शाम का वक्त था। एक दादी मां कोई कपड़े को सुई से सिल रही थीं। अचानक उनकी सुई हाथ से छूटी और कहीं खो गई। उन्होंने बहुत खोजा लेकिन सुई मिली ही नहीं। तभी उनके कमरे में एक व्यक्ति आया और पूछा कि वे क्या खोज रही हैं। दादी मां ने कहा- सुई। तो उस व्यक्ति ने कहा- अंधेरे में सुई कैसे मिलेगी? प्रकाश में खोजिए। दादी मां बाहर सड़क पर गईं। वहां लैंप पोस्ट का प्रकाश था। वे सुई वहीं खोजने लगीं। थोड़ी देर बात एक और आदमी आया और उसने पूछा- दादी मां क्या खोज रही हैं? दादी मां ने कहा- सुई। उस आदमी ने पूछा- सुई कहां खो गई? दादी मां ने कहा- मेरे कमरे में। तो उस आदमी ने हंस कर कहा- दादी मां, सुई तो कमरे में खोई है। आप लैंप पोस्ट के नीचे क्यों खोज रही हैं। कमरे में जाइए, वहां प्रकाश कीजिए और तब सुई ढूंढिए। एक सन्यासी ने यह कथा सुनाते हुए कहा- ठीक दादी मां की तरह हमारा भी हाल है। हम ईश्वर को बाहर बाहर ही खोज रहे हैं। जबकि वह है हमारे अंदर। अंदर खोजने से ही वह मिलेगा क्योंकि वह वहीं है। अंदर कैसे जाएंगे? ध्यान के माध्यम से।
जो ध्यान बाहर की दुनिया में लगा रहता है, उसे मोड़ कर भीतर ले जाना है। आंखें बंद कीजिए और महसूस कीजिए कि बंद आंखों का अंधेरा ईश्वरीय प्रकाश का साम्राज्य है औऱ आप उसमें प्रवेश कर रहे हैं। इसी अमुभव का आनंद लीजिए। जब भीतर ईश्वर को पुकारेंगे तो वह जरूर आएगा। बस पुकार गहरी और दिल से होनी चाहिए। वह तो हमारी पुकार के इंतजार में बैठा है।


प्रकाश की गति से चलने वाले उपग्रह की भविष्यवाणी


स्टीफन हाकिंग ने एक और रहस्य को खोला है। उन्होंने कहा है कि आने वाले दिनों में प्रकाश की गति से चलने वाले उपग्रह को तैयार किया जा सकेगा। आप जानते ही हैं कि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से भी तेज होती है। आज तक हम सुपरसोनिक विमान को ही जानते थे। अब प्रकाश की गति से चलने वाला कोई उपग्रह तैयार हो जाएगा तो एकदम नए युग की शुरूआत हो जाएगी। हमने पढ़ा है कि जिस दिन मनुष्य प्रकाश की गति से चलने लगेगा, वह विग्यान के पहले शिखर को छू लेगा। कहा जा रहा है कि स्टीफन हाकिंग अभी थ्यौरी बना रहे हैं। लेकिन हाकिंग का कहना है कि जैसे उन्होंने कहा था कि इस पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर भी जीव रहते हैं। इन जीवों को एलियंस कहते हैं और इनसे मनुष्य अगर संपर्क न रखे तो ही अच्छा है और इस बात पर बहुत तरह के विचार आए। ठीक उसी तरह उनके इस नए वक्तव्य पर भी तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। सबसे तीखी प्रतिक्रिया तो यह है कि प्रकाश की गति से अगर मनुष्य अंतरिक्ष में जाता है तो उसके पहले उसे जमीन पर अपने शरीर को साध लेना पड़ेगा। क्या इसके लिए अभी कोई प्रयोगशाला बनी है? स्टीफन हाकिंग इस प्रश्न को खारिज कर देते हैं। उनका कहना है कि जब चांद पर जाने के पहले वैग्यानिकों को जमीन के गुरुत्वाकर्षण से मुक्त रहने की स्थिति में जीने का आदी बनाया जा सकता है तो प्रकाश की गति से चलने के लिए शरीर को उपयुक्त बनाना क्या मुश्किल है? मुझे हाकिंग का तर्क ठीक लगता है। हालांकि एलियंस वाली बात पर अभी कुछ पक्का सबूत सामने नहीं आया है। लेकिन संभव है भविष्य में इससे जुड़ा कोई सबूत आ भी जाए। बहरहाल प्रकाश की गति से चलने वाले वाहन की बात सुन कर मेरी तरह आप भी उत्सुकता से जहां कहीं रपट मिले पढ़ ही रहे होंगे। चूंकि मैं विग्यान का छात्र रहा हूं, इसलिए अंतरिक्ष संबंधी कोई भी शोध गहरी रुचि जगाता है।

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