दो प्रकार की भक्ति
विनय बिहारी सिंह
पिछले दिनों एक सन्यासी ने कहा- भक्ति दो तरह की होती है। एक तो शुरू में नदी की तरह उफनती है। लगता है भगवान के दर्शन किए बिना यह आदमी जी ही नहीं सकता। दिन रात वह भगवान के लिए तड़पता रहता है। लेकिन धीरे- धीरे यह भक्ति कम होने लगती है। अंत में महीने- दो महीने बाद आप देखते हैं कि उस आदमी में भक्ति का कोई चिन्ह ही नहीं है। वह सांसारिक भोग विलास में लिप्त हो गया है। ऐसे ही लोगों के लिए कहा जाता है- भक्ति है भादो नदी..। दूसरा होता है पक्का भक्त। वह एक रस रहता है। न कभी उफनता है और कभी संसार में बुरी तरह फंसता है। उसके मन में दृढ़ विश्वास है कि भगवान को वह पाकर रहेगा। उसके जीवन का केंद्र बिंदु भगवान होते हैं। वह दिन- रात भगवान में ही जीता है। उसका हर काम भगवान के लिए होता है। कई भक्त तो ऐसे होते हैं जो गुप- चुप भगवान से प्रेम करते हैं। उन्हें देख कर आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि यह व्यक्ति भगवान का अनन्य प्रेमी है। बाहर से वह प्रकट नहीं करता कि वह भगवान से प्रेम करता है। वह चुपचाप अपना सांसारिक काम करता है और ज्योंही समय मिलता है, भगवान का स्मरण, जाप या संक्षिप्त ध्यान करता है। लेकिन कुछ लोग चाहते हैं कि उन्हें लोग भगवान के भक्त के रूप में जानें। तो भक्त भी अपने- अपने मिजाज के होते हैं। कुछ भक्त तो ऐसे होते हैं कि बस किसी काम के लिए- चाहे व्यवसाय के लिए या नौकरी के लिए या किसी दूसरे काम के लिए भगवान के चरण पकड़े रहते हैं। मान लीजिए उनका काम नहीं हुआ तो बस भगवान के प्रति खराब टिप्पणिया करने लगते हैं। यह भक्ति, भक्ति नहीं है। अगर आप सचमुच भगवान से प्यार करते हैं तो उनसे लेन- देन वाला संबंध नहीं रखेंगे। आपके मन में बस यही रहेगा- भगवान मैं आपसे प्यार करता हूं। अनकंडीशनल प्यार। इस प्यार में कोई शर्त नहीं है। सिर्फ प्यार है। वे हमारे माता, पिता, भाई, मित्र सबकुछ हैं। वे ही हमारे निर्माता हैं। वे ही हमारे मालिक हैं। वे जैसा चाहें रखें। बस इतनी ही प्रार्थना है कि वे हमें अपने से दूर न रखें। हमेशा हमें उनकी याद आती रहे। हम उनके प्यार में सराबोर रहें। बस यही एक चीज मांगनी चाहिए। उनसे यह कहना चाहिए- हे भगवान। हमें शक्ति दीजिए कि हम आपके प्यार को महसूस कर सकें। हम दिन रात आपके प्यार में डूबे रहें। हमारे भीतर आपके आशीर्वाद को महसूस करने की क्षमता हो। हम आपमें दिन रात समाए रहें। बस यही एक चीज मांगनी चाहिए। वे तो यह सब देने के लिए तैयार बैठे हैं।
1 comment:
wow !!!!!!!!
bahut khub
shkehar kumawat
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