क्षुद्रग्रह पर मिला
पानी और बर्फ
वैज्ञानिकों ने एक छोटे से तारे यानी एस्टेरॉइड की सतह पर बर्फ और पानी का पता लगाया है.
24 थिमिस नाम के इस तारे पर पहली बार नज़र रखी गई. यह एक बहुत बड़े पत्थर की तरह है और इसकी कक्षा सूर्य से क़रीब 480 करोड़ किमी की दूर है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि इन परिस्थितियों में यह बर्फ स्थायी नहीं है और हो सकता है कि कुछ समय बाद वहाँ ग्रह की ही कुछ और चीज़ें आ जाएँ.
विज्ञान की पत्रिका 'नेचर' को शोधकर्ताओं ने बताया कि इस खोज से इस सिद्धांत को बल मिलता है कि पृथ्वी पर मौजूद अधिकांश पानी अंतरिक्ष से ही आया है.
पृथ्वी पर पानी
अमरीका के फ्लोरिडा के सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर हम्बर्तो कैंपिंस ने कहा, ''यह बहुत दिलचस्प है कि हमने एक क्षुद्रग्रह पर बर्फ का पता लगाया, क्योंकि कई लोगों का कहना है कि पृथ्वी के शुरुआती दिनों में पानी इन्ही क्षुद्रग्रहों से आया था.''
यह बहुत दिलचस्प है कि हमने एक क्षुद्रग्रह पर बर्फ का पता लगाया, क्योंकि कई लोगों का कहना है कि पृथ्वी के शुरुआती दिनों में पानी इन्ही क्षुद्रग्रहों से आया था
प्रोफ़ेसर हम्बर्तो कैंपिंस, वैज्ञानिक
प्रोफेसर कैंपिंस ने बीबीसी से कहा, ‘''इस क्षुद्रग्रह पर पानी-बर्फ मिलने से इस सिद्धांत को और बल मिलता है.''
24 थिमिस का व्यास क़रीब दो सौ किमी है और यह कुछ बड़े क्षुद्रग्रहों में से एक है. इसकी कक्षा सूर्य और बुध की दूरी से डेढ़ गुनी अधिक है.
इस क्षुद्रग्रह की सतह के बर्फ से ढंकी होने की पुष्टि वैज्ञानिकों के दो स्वतंत्र दलों ने की है. इनमें से एक दल का नेतृत्व प्रोफेसर कैंपिंस ने किया.
इस टीम ने इस क्षुद्रग्रह पर जटिल कार्बनिक या कार्बन की अधिकता वाले पदार्थ का भी पता लगाया.
वैज्ञानिक पहले से ही क्षुद्रग्रहों पर हाइड्रेट यानी कि ऐसे पदार्थ जिनमें पानी के कण पाए जाते हों और खनिजों का पता लगाते रहे हैं लेकिन यह पहली बार हुआ है कि इन पर पानी और बर्फ का पता लगा है.
कई वैज्ञानिकों का मानना है कि बहुत अधिक तापमान और पानी से ही पृथ्वी का निर्माण हुआ है. बाद में यह लोकप्रिय सिद्धांत बन गया कि आज हमें जो पानी दिखता हैं वह पृथ्वी पर कहीं और से आया हो.
इस क्षुद्रग्रह पर बर्फ-पानी की खोज की पुष्टि करने वाली दूसरे स्वतंत्र दल के प्रमुख अमरीका के लॉरेल के जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के डॉक्टर एंडी रिवकिन थे.
वे कहते हैं, ''धूमकेतुओं में बहुत अधिक पानी होता है और वे उसकी बहुत बड़ी मात्रा छोड़ सकते हैं, लेकिन शायद बहुत अधिक नहीं.''
डॉक्टर रिवकिन कहते हैं, ''थिमिस और उसके ग्रह-परिवार में बर्फ का पता लगने से इस बात की पुष्टि हुई है कि पृथ्वी पर पानी क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं से ही आया हो.''
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