Thursday, April 1, 2010

जब तक संदेह रहेगा, ईश्वर से संपर्क नहीं होगा


विनय बिहारी सिंह


मेरे एक परिचित पूजा- पाठ करने वाले व्यक्ति हैं। एक नजर में उन्हें देख कर आप तुरंत कह देंगे कि वे अत्यंत धार्मिक व्यक्ति हैं। लेकिन बीच- बीच में वे प्रश्न करते रहते हैं कि भगवान सामने प्रकट क्यों नहीं होते? एक दिन मैंने पूछा कि क्या आपको संदेह है कि भगवान हैं या नहीं? तो उन्होंने कहा- नहीं, संदेह तो नहीं है। लेकिन अगर भगवान हैं तो मैं इतनी पूजा करता हूं, उन्हें प्रकट होना चाहिए। मैं समझ गया। वे स्वीकार नही करना चाहते कि भगवान के होने पर उन्हें बीच- बीच में संदेह होता रहता है। रामकृष्ण परमहंस कहते थे कि खांटी किसान फसल खराब होने पर भी किसान ही रहता है। वह फिर खेती करेगा। उसी तरह खांटी भक्त चाहे भगवान के दर्शन हो या नहीं, उन पर अगाध विश्वास करेगा। अपनी आस्था से डिगेगा नहीं। अंत में भगवान उसे ही दर्शन देते हैं। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि वे अपने भक्तों का योग- क्षेम स्वयं वहन करते हैं। वे भक्तों की रक्षा करते हैं। क्या आपके जीवन में ऐसा मौका नहीं आया जब आप संकट में हों और अचानक जैसे कोई शक्ति आपको बचा ले गई हो? क्या यह आश्चर्य वाली बात है? भगवान तो हमारे साथ हर क्षण, हर पल रहते हैं। हमारी एक- एक सांस उन्हीं की कृपा से चल रही है। अब कैसा प्रमाण चाहते हैं आप कि भगवान है। आपके दिल की धड़कन कौन संचालित कर रहा है। आपके शरीर की मशीन कौन चला रहा है? जब मनुष्य के प्राण निकलते हैं तो क्या आप उसे देख पाते हैं? नहीं। क्यों? क्योंकि प्राण अत्यंत सूक्ष्म होता है। उसे देखा नहीं जा सकता। जब प्राण इतना सूक्ष्म है तो भगवान उससे भी सूक्ष्म हैं। आप सहज ही उन्हें कैसे देख सकते हैं। हां, जब भगवान को लगेगा कि आप उनके बिना दिन- रात बेचैन रहते हैं तो वे अवश्य आपके सामने प्रकट होंगे। वे साकार भी हैं और निराकार भी। लेकिन उनके लिए आपके मन में तड़प नहीं है। तो कैसे दर्शन देंगे भगवान? आपका मन न जाने कहां- कहां भागता है। और आप चाहते हैं कि भगवान आपके सामने प्रकट हो कर कहें- लो, यह मैं हूं। तुम्हें दर्शन दे रहा हूं। मांगो क्या चाहते हो। इतना आसान नहीं है भगवान के दर्शन। आप भगवान के अस्तित्व को मानिए या मत मानिए। इससे भगवान को क्या फर्क पड़ता है? वे तो अनंत कोटि ब्रह्मांड के स्वामी हैं। आपके भी स्वामी हैं। वे हैं। वे सदा मौजूद थे, हैं और सदा के लिए रहेंगे। हमारी अल्प बुद्धि उनका आंकलन नहीं कर सकती। उन्हें महसूस करने के लिए, उनके दर्शन करने के लिए कुछ नियम हैं। पद्धतियां हैं। उन पर नहीं चल कर उतावलापन दिखाने से भगवान दर्शन नहीं देते। इतनी बड़ी सृष्टि वे चुपचाप छुप कर चला रहे हैं। आप क्या समझते हैं आपके बिना शांत हुए। बिना अगाध भक्ति के वे आपके सामने आ जाएंगे? पहले आप अनंत समुद्र जितना प्रेम तो अपने भीतर पैदा कीजिए। जब उन्हें लगेगा कि आप उनसे अनंत प्रेम करते हैं। बिना शर्त प्रेम करते हैं। तब वे
आएंगे।

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