आइना बताएगा कि आपका स्वास्थ्य कैसा है
विनय बिहारी सिंह
खबर है कि अब आइना बताएगा कि आपका स्वास्थ्य कैसा है। हो सकता है कि आइने के सामने आप ब्रश कर रहे हों। क्योंकि आमतौर से बेसिन आइने के ही सामने होता है। ब्रश करते हुए आइना आपके शरीर के भीतर के पूरे सिस्टम की जांच कर रहा होगा। इस आइने में ब्रा़डबैंड सिस्टम फिट होगा। ज्योंही आप शीशे के सामने होंगे। या मान लीजिए आप कंघी ही कर रहे हों तो आपके शरीर का हाल कंप्यूटर में फीड हो रहा होगा। लेकिन ऐसा उसी शीशे में होगा जो ब्राडबैंड सिस्टम के साथ कनेक्ट कर दिया गया हो। शीशा ही बता देगा कि आपका ब्लड सुगर कैसा है। आपका ब्लड प्रेसर कैसा है। आपका हृदय, किडनी और फेफड़ा कैसा है। आपके शरीर में कोलेस्टेराल किस स्तर पर है। आपके खून में किस चीज की कमी है या क्या ऐसा है जो आपके स्वास्थ्य के लिए घातक है। इन सब बातों को जान कर आप सतर्क रहेंगे और डाक्टर को भी ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ेगी। आपका शरीर लगभग रोज ही स्कैन होता रहेगा और आप अपना जीवन संतुलित बनाए रखेंगे।
दूसरी खबर है कि चुंबकीय किरणों प्रक्षेपण से आपके चिंतन की पद्धति बदली जा सकती है। मान लीजिए कि आपके मन में किसी खास चीज डर समाया हुआ है। आप इससे मुक्त ही नहीं हो पा रहे हैं। आप अपने मन का डर भी किसी से नहीं कह पा रहे हैं। आपको लगता है कि अगर अपने डर के बारे में बताएंगे तो लोग हंसेंगे या आपको नीची निगाह से देखेंगे। लेकिन जब यह मशीन उपलब्ध हो जाएगी तो आप डाक्टर से अपनी तकलीफ बताएंगे और वह आपके मस्तिष्क के एक खास हिस्से में चुंबकीय किरणों का प्रक्षेपण करेगा। नतीजा यह होगा कि भविष्य में आपके दिमाग में किसी भी चीज के प्रति कोई डर नहीं पैदा होगा। आप निश्चिंत हो कर रह सकेंगे। यह पद्धति अभी प्रयोग के तौर पर शुरू हुई है। लेकिन भविष्य में यह चिकित्सा विग्यान का चमत्कार साबित होगी।
इन खबरों से एक बार फिर हमारे ऋषि- मुनियों की याद आ जाती है। अपने योग बल से वे लोगों की न सिर्फ सोच ही बदल देते थे बल्कि शरीर की बीमारियों को भी तत्क्षण दूर कर देते थे। उनके मस्तिष्क इतने शक्तिशाली होते थे कि वे प्रकृति को भी वश में कर लेते थे। परमहंस योगानंद जी कहते थे- लीव मोर विद माइंड नाट विथ बाडी। योग में दृढ़ता और गहराई पाने के लिए स्ट्रांग माइंड यानी शक्तिशाली दिमाग की जरूरत होती है। हो सकता है कि आपका शरीर कमजोर हो लेकिन आपका दिमाग शक्तिशाली। जिनका मन अत्यंत एकाग्र होता है वही धीरे- धीर अपना विल पावर बढ़ाते जाते हैं और इसकी परिणति होती है शक्तिशाली दिमाग। आप किसी भी चीज का निर्माण करते हैं तो उसमें दिमाग की एकाग्रता चाहिए होता है। बिना एकाग्रता के या बिना कंसंस्ट्रेशन के क्या इस दुनिया में कुछ भी संभव है? यह पाठ हमारे ऋषि- मुनियों ने बहुत पहले पढ़ा दिया है। लेकिन हम कई बार सुस्त हो जाते हैं और भूलने लगते हैं कि हमें अपनी पीछे ले जाने वाली आदतें गुलाम बना रही हैं। ये आदतें ही हमारी प्रगति का रास्ता रोक कर खड़ी हैं। जब ये आदतें, चाहे वे शरीर की हों या दिमाग की (हैबिट्स आफ दि माइंड) खत्म हो जाएंगी तो हम मुक्त हो जाएंगे। आनंद का स्वाद चखने लगेंगे क्योंकि ईश्वर हमारे साथ होंगे।
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