Monday, March 22, 2010

आपको सोचने की शक्ति देता कौन है?



विनय बिहारी सिंह





कभी आपने सोचा है कि आपको सोचने की शक्ति कौन देता है? और क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपके दिमाग में आपके मन में कितने विचार आते और जाते हैं? यह एक बहुत ही रोचक तथ्य है। आप एक दिन नोट कीजिए कि आपके दिमाग में कितने विचार आते और जाते हैं। हां, जरा कठिन काम जरूर है लेकिन अत्यंत रोचक काम है। आप यह देख कर हैरान रह जाएंगे कि आपके दिमाग में अनेक फालतू के विचार आते हैं। इन विचारों का कोई मतलब नहीं है। अनावश्यक रूप से ये आपके मन में आते हैं। ऐसा क्यों होता है? आप कहेंगे कि हमें सोचने की शक्ति तो भगवान देते हैं। बिना उनकी शक्ति के हम बोल भी नहीं सकते। सुन भी नहीं सकते। एक बार वे अपनी दी हुई शक्ति वापस ले लेंगे तो हम मुर्दा हो जाएंगे। तब घर के ही लोग कहने लगेंगे- जल्दी श्मशान ले चलो। जल्दी शव वाही खाट खरीद कर लाओ। वे उसी दिन और ज्यादा से ज्यादा अगले दिन हमें ले जाकर श्मशान में जला आएंगे। इसीलिए हमें रोज ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने हमें जो जीवन दिया है वह अमूल्य है। इसका हम सदुपयोग कर रहे हैं। इसके लिए भी ईश्वर को धन्यवाद। बात चल रही थी विचारों की। हमारे मन में फालतू या अनावश्यक विचार क्यों आते हैं? इसका उत्तर है- क्योंकि हमारे मन पर हमारा नियंत्रण नहीं है। हमारे शरीर पर हमारा नियंत्रण है? आप कहेंगे- हां। लेकिन जैसे ही आपको नींद आने लगेगी, आपका सारा नियंत्रण खत्म हो जाएगा। आपका शरीर भी आपके वश में नहीं रहेगा। इसीलिए साधु- संतों ने हमें आत्मनियंत्रण की शिक्षा दी है। आत्मसंयम की शिक्षा दी है। हमारे शरीर पर हमारा नियंत्रण नहीं रहेगा तो हम क्या करेंगे। बेकार की बातें सोचेंगे। बेकार में तनाव ग्रस्त रहेंगे और कभी भी शांति का स्वाद आनंद का स्वाद नहीं चख पाएंगे। जबकि ईश्वर शांति और आनंद के स्वरूप हैं। तो क्यों नहीं हम ईश्वर की गोद में बैठ कर उससे प्रार्थना करें कि हे भगवान, अब तक हमने जो किया सो किया। अब तो हमें माफ कीजिए और हमें शक्ति दीजिए कि हम अपने शरीर, मन और बुद्धि पर नियंत्रण पा सकें। धीरे- धीरे अभ्यास करने से आपका मन नियंत्रित हो जाएगा। परमहंस योगानंद जी ने कहा है- शरीर से ज्यादा मन को महत्व दीजिए। माइंड को ताकतवर बनाइए। तभी आप शांत जीवन जी सकेंगे।