Saturday, March 20, 2010

मच्छरों का इलाज में इस्तेमाल



विनय बिहारी सिंह




वैग्यानिकों ने ऐसे बायलाजिकल मच्छर बनाने में सफलता हासिल की है जिनमें वैक्सिन भर दिए जाते हैं। फिर उन्हें उड़ने के लिए आजाद कर दिया जाता है। वे जिस व्यक्ति को काटते हैं उसमें वह दवा या वैक्सिन का प्रवेश हो जाता है। अभी यह प्रयोग मलेरिया प्रतिरोधी वैक्सिन को लगाने के लिए किया जा रहा है। जिन इलाकों में मलेरिया की शिकायतें मिलती हैं, वहां ये मच्छर छोड़ दिए जाते हैं और वे लगभग हर आदमी को डंक मार देते हैं। नतीजा यह होता है कि सभी लोग मलेरिया से मुक्त हो जाते हैं। यह काम किया है जिची मेडिकल यूनिवर्सिटी ने जो जापान में है। वैग्यानिकों का कहना है कि अब तक मच्छर बीमारी फैलाने का काम करते थे। लेकिन उनके बनाए मच्छर मेडिकल टीम की भूमिका निभा रहे हैं। ये मच्छर अपना काम कर प्रयोगशाला में लौट आते हैं क्योंकि इनका विशेष भोजन वहीं पर होता है। इस तरह यह इक्कीसवीं शताब्दी का अद्भुत प्रयोग मील का पत्थर बन गया है।
दूसरी तरफ जापान में ही लचीला लोहा तैयार किया गया है। इसे मकानों की नींव में लगा दिया जाता है। जब भूकंप आता है तो मकान झुक जाता है। लेकिन फिर जल्दी ही वापस अपनी जगह पर तन कर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसकी नींव में लचीला लोहा है। इसकी मजबूती भी सख्त लोहे की तरह ही है। बल्कि कुछ लोगों का कहना है कि यह लोहा सख्त लोहे से भी मजबूत है। इस लोहे का इस्तेमाल हृदय के वाल्व बनाने में भी किया जा सकता है। इस पर शोध हो रहा है क्योंकि यह बहुत सस्ता और प्रभावकारी साबित हो रहा है।
इन शोधों से हमें एक बार फिर अपने ऋषि- मुनियों की याद ताजा हो जाती है। वे लोग सूक्ष्म से स्थूल चीजें बना देते थे और उसका इस्तेमाल ईश्वर भक्तों के कल्याण के लिए किया करते थे। आज भी जो सच्चे साधु- संत हैं उन्हें कोई नहीं जानता। वे चुपचाप साधना में लीन हैं और मनुष्य के कल्याण के लिए वे लगातार ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। उनका मकसद सिर्फ एक ही होता है- जन कल्याण और ईश्वर की प्राप्ति।

No comments: