Wednesday, March 10, 2010

रोज एक दिन उम्र कम हो रही है

विनय बिहारी सिंह



हम सांसारिक कामों में इस कदर डूबे हुए हैं कि पता ही नहीं चलता कि हमारी उम्र रोज एक दिन घट रही है। धीरे धीरे हम मृत्यु की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं। लेकिन हमें इसका आभास तक नहीं है। चंद्रमा धीरे धीरे बढ़ता और घटता रहता है। वह भी हमें याद दिलाता है कि हमारी नियति क्या है। लेकिन फिर भी हम नहीं समझ पाते। यही माया है। हमें लगता है कि अमुक काम भगवान को याद करने से भी ज्यादा जरूरी है। परमहंस योगानंद जी ने कहा है कि ईश्वर का स्थान सबसे पहले है। यह संसार हमारे लिए स्कूल की तरह है। हम इससे शिक्षा लेते हैं। दुख में भी और सुख में भी। हमें हर रोज कुछ न कुछ शिक्षा मिलती है। कभी दुर्घटना से बचते हैं तो कभी किसी खतरे से। कुछ लोग इन सब चीजों से शिक्षा लेते हैं लेकिन कुछ लोग इसे साधारण बात मान कर फिर सांसारिक कामों में मशगूल होते हैं। हम सौ सौ ठोकर खाते हैं लेकिन कोई शिक्षा नहीं लेते। आखिर ऐसा क्यों होता है?। गहराई से सोचें तो पता चलता है कि हम अपनी आदतों और सोच के गुलाम हो गए हैं। हमारा दिमाग एक खास पैटर्न पर सोचने का आदी हो गया है। वह इस दायरे के बाहर सोच ही नहीं पाता। कई लोग तो यह भी विश्वास नहीं करते कि ईश्वर है। वे कहते हैं कि जो दिखता नहीं उस पर कैसे विश्वास करें। किसी के मन में आपके प्रति नफरत है और वह आपको देखते ही हंसता है तो उसकी नफरत तो दिखती नहीं। तो क्या आप विश्वास नहीं करेंगे कि उस मनुष्य के भीतर नफरत है। हां शायद आप तब विश्वास करेंगे जब आपको ठोकर लगेगी। लेकिन कई लोगों के मनोभाव आप जीवन भर जान नहीं पाते क्योंकि आपको ठोकर नहीं लगती। इसी तरह भगवान हैं। वे दिखते नहीं लेकिन सारे संसार को चुपचाप रह कर चलाते हैं। वे मालिक हैं लेकिन छुपे हुए हैं। और हम तो छोटा मोटा काम करके अहंकार में डूबे रहते हैं और बार बार कहते हैं कि मैंने यह किया है मैंने वह किया है। हम अपनी पीठ खुद ठोकते रहते हैं। यह अहंकार के सिवा और क्या है। बात चल रही थी- उम्र घटने की। उम्र घट रही है और हमें सोचना चाहिए कि कहीं हम अपने दिन यूं ही तो नहीं गंवा रहे हैं। आपने सब कुछ किया लेकिन ईश्वर को याद नहीं किया। उन्हें प्रणाम नहीं किया तो सब कुछ व्यर्थ है। इसलिए ऋषियों ने कहा है कि आप चाहे जितना महत्वपूर्ण काम कर रहे हों. चाहे जितने महत्वपूर्ण पद पर बैठे हों सोते और जागते समय दस मिनट के लिए या पांच मिनट के लिए ही सही ईश्वर को जरूर याद कीजिए। उन्हें प्रणाम कीजिए और धन्यवाद दीजिए कि आप जीवित हैं। वेद पुराण सबमें कहा गया है कि धन दौलत तो दूर की बात है यह शरीर तक आपके साथ नहीं जाएगा। आप किस मोह में फंसे हुए हैं। खाली हाथ आए हैं और कहीं ऐसा न हो कि खाली हाथ ही जाना पड़े। जब आप ईश्वर को प्रेम करने लगते हैं तो आप खाली हाथ नहीं रह जाते। आप जाएंगे भी तो धनवान बन कर। ईश्वर नामक पूंजी आपके साथ मरने के बाद भी रहेगी। परमहंस योगानंद जी कहते थे- ईश्वर के बैंक में खाता खोलिए। वहां धन लगातार बढ़ता रहता है। चाहे आप जितना भी खर्च क्यों न करें। ईश्वर ही हमारा सब कुछ है। उसे हर रोज क्यों न याद करें।

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