Wednesday, April 21, 2010

नगा साधु

विनय बिहारी सिंह


हरिद्वार में १४ अप्रैल को विशेष स्नान की तिथि थी। हम सबने भोर में ही गंगा घाट जा कर तृप्तिदायक स्नान किया। कैंप लौटते हुए नगा साधुओं के जत्थे से भेंट हुई। सबसे आगे एक नगा साधु एक तलवार हाथ में लिए हर- हर महादेव कहते हुए लगभग दौड़ते हुए जा रहे थे। पीछे- पीछे अन्य नगा साधु उस जैकारे को दुहरा रहे थे। सब नंगे और समूचे शरीर में भस्म लगाए हुए। कहते हैं भस्म के कारण उन्हें ठंड नहीं लगती। हमारे दल के एक व्यक्ति ने पूछा- ये नगा साधु स्थायी रूप से रहते कहां हैं? इन्हें किसी बस्ती के आसपास तो देखा नहीं जाता। तभी एक अन्य व्यक्ति ने कहा- ये लोग हिमालय क्षेत्र में गुफाओं में रहते हैं। लेकिन अकेले नहीं, दल के साथ। ये मानते हैं कि शरीर आत्मा का वस्त्र है। अब औऱ क्या वस्त्र पहनना। यानी ये लोग शरीर को ही वस्त्र मानते हैं। इसलिए नंगे रहते हैं। इन्हें इसी तरह रहने का अभ्यास है। किसी भी मौसम में इन्हें वस्त्र पहनने की जरूरत नहीं पड़ती। इन्होंने शरीर को साध लिया है। तभी किसी ने बताया- जाड़े के दिनों में ये लोग धूनी जलाते हैं। यानी आग जला कर उसी पर खाना पकता है और उसी से गुफा गर्म रहती है। तभी देखा एक मामूली सी लंगोट पहने एक साधु बैठे हैं। उनके सामने धूनी जल रही है। पूरा शरीर नंगा है। सिर्फ लंगोट को छोड़ कर। उनके शरीर पर भी भभूत का लेप है। उनके साथ रहने वाले व्यक्ति ने बताया कि ये बाबा शरीर और मन के नियंत्रण के लिए एक खास योग करते हैं। ये बहुत कम खाते हैं। पानी भी बहुत कम पीते हैं। हफ्ते में दो दिन फलाहार पर रहते हैं। रात को सिर्फ दूध पीते हैं। इनके लिए राम ही ओढ़ना हैं राम ही बिछौना हैं और राम ही भोजन हैं। ये साधु बाबा राम को लेकर ही उठते बैठते हैं। उन्हीं से बातचीत करते हैं। आंखें बंद रहती हैं और चेहरे पर मुस्कान। धूनी आहिस्ते आहिस्ते जल रही थी। क्या गजब का दृश्य था। इन साधु का मानना था कि जो मैं राम के साम्राज्य में हूं तो फिर कमी किसी बात की। सब कुछ तो है मेरे पास। जब राम ही मेरे हैं तो राम का सबकुछ मेरा है। वे इसी में मग्न हैं। मुंह से राम, राम, राम निकल रहा था। संसार में इतना संतोष, इतनी तृप्ति कहीं देखी है आपने? सभी तो हाय- हाय करके दौड़ रहे हैं। किसी को कुछ चाहिए तो किसी को कुछ। और एक यह साधु बाबा हैं। एक लंगोटी पहन कर राजा की तरह रह रहे हैं। कहते हैं- जब दिल में हों राम। तो किसी दूसरी चीज का क्या है काम?

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