Monday, March 2, 2009

कथा भृगु संहिता की


विनय बिहारी सिंह

भृगु संहिता कैसे लिखी गई, इसकी एक रोचक कथा है। ऋषि भृगु हर लोक में कभी भी जा सकते थे। एक बार वे भगवान विष्णु से मिलने बैकुंठ लोक गए। द्वार पर जय- विजय नामक द्वारपालों ने उन्हें रोका। यह ऋषि भृगु के लिए चकित करने वाली बात थी। उन्हें आज तक कहीं किसी ने रोका नहीं था। वे क्रोधित हो गए। उन्होंने जय- विजय को श्राप दे दिया। द्वारपालों ने सिर झुका लिया और उन्हें विष्णु भगवान के पास जाने दिया। उन्होंने जा कर देखा कि विष्णु भगवान सो रहे हैं और माता लक्ष्मी उनका पैर दबा रही हैं। भृगु ऋषि को लगा कि भगवान सोने का बहाना कर रहे हैं। उन्होंने गुस्से में विष्णु भगवान की छाती पर जोर से लात मारी। विष्णु भगवान ने आंखें खोलीं और हाथ जोड़ कर बोले- ऋषिवर, कहीं आपके पैर में चोट तो नहीं लगी। भगवान की यह विनम्रता देख कर भृगु जी चकित हुए। लेकिन माता लक्ष्मी को क्रोध आ गया। उन्होंने भृगु ऋषि को शाप दिया- आपने मेरे पति का अपमान किया है, इसलिए मैं शाप देती हूं कि अब तक तपस्या के लिए आप सबको बिना प्रयत्न के ही फल- फूल और धन मिल जाया करता था। लेकिन अब आपको इसके लिए श्रम करना पड़ेगा। । भृगु ऋषि ने कहा कि माता मैंने तो विष्णु भगवान से माफी मांग ली है। लेकिन जब आपने शाप दे ही दिया तो मैं एक ऐसा ज्योतिष ग्रंथ लिखूंगा, जिसके आधार पर हमारे जैसे ऋषि और अन्य ब्राह्मण अद्भुत भविष्यवाणी करेंगे और उससे उनकी जीविका चलेगी। इसके बाद वे अपने आश्रम में गए और भृगु संहिता की रचना की। लेकिन आज मूल भृगुसंहिता कहीं नहीं है। हालांकि जहां जहां भृगु संहिता होने की बात कही जाती है, वहां के लोग उसे ही मूल भृगु संहिता कहते हैं और बाकी को जाली। होशियारपुर (पंजाब) में एक भृगुसंहिता का पता चला था। लेकिन वहां जाने पर पता चला कि वहां पहुंचने वाले प्रश्नकर्ता या जातक की प्रश्न कुंडली बना कर भविष्यवाणी की जाती है। प्रश्न कुंडली तो दक्षिण भारत की कृष्णमूर्ति पद्धति में भी है और बहुत ज्यादा सटीक है। इसलिए वहां मूल भृगु संहिता है, इस पर शंका हो गई। वैसे भृगु संहिता में जो बातें हैं, उन्हें संक्षेप में यहां दिया जा रहा है-गणितीय ज्योतिष औऱ फलित ज्योतिष और अंक ज्योतिष। इसमें जन्म कुंडली, विंशोत्तरी दशा, भविष्यवाणी, पूर्व जन्म का ब्यौरा, जीवन की घटनाएं और ज्योतिषीय उपाय।मुझे इस संबंध में यही कहना है कि दक्षिण भारत की कृष्णमूर्ति पद्धति ज्यादा सटीक होती है। मैं स्वयं, उसी का विद्यार्थी रहा हूं। उससे भविष्यवाणी करने में सुविधा होती है।

5 comments:

योगेश समदर्शी said...

बहुत अच्छी जानकारी दी आपने.... आपको निरंतर पढना चाहूंगा..

Anonymous said...

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seema gupta said...

मुझे भी बेहद रोचक लगी ये कथा..आभार...

regards

lucky said...

sir bhrigu sanhita aj bhi yhan hai or main koi jyotishi nhi hun

Unknown said...

aap kahte he bhigu samhita kahi nahi he to wo gayi kaha, kahi to hogi LUCKY ji kahte he ki yaha he to kaha he. KRISHANMURTY PADHTI ke bare me thoda vistar se bataye. bhigu samhita kaha he koi bata sakta he.