Monday, March 30, 2009

शुक्र ग्रह



विनय बिहारी सिंह


आइए आज शुक्र की बात करें। जब टेलीस्कोप का अविष्कार नहीं हुआ था तभी पाइथागोरस ने इसका पता लगा लिया था। यह छठवीं शताब्दी की बात है। फिर १७वीं शताब्दी में गैलीलियो ने इसकी सतह पर क्या है, इस पर विस्तार से शोध किया। शुक्र या वीनस रोमन गाडेस यानी देवी है। यह आकाश में चमकने वाले ग्रहों में चंद्रमा के बाद दूसरा सबसे चमकीला ग्रह है। यह बुध के बाद दूसरा ग्रह है जो सूर्य के सबसे करीब है। १९८० में पायनियर वीनस आर्बिटर ने जाकर यह जानकारी भेजी कि शुक्र का मैग्नेटिक फील्ड या चुंबकीय ताकत पृथ्वी की तुलना में कमजोर है। सूर्य से १०८ किलोमीटर दूर यह ग्रह मनुष्य के सौंदर्य और प्यार को प्रभावित करने वाला माना जाता है। लेकिन यह तो ज्योतिषीय व्याख्या हुई। वैग्यानिक दृष्टि से तो शुक्र ग्रह पर सल्फ्यूरिक एसिड और सल्फर डाई आक्साइड के बादल छाए रहते हैं। जापान के संगठन जाक्सा ने अगले साल शुक्र पर एक उपग्रह भेजने की योजना बनाई है। शुक्र ग्रह पर किस गैस का प्राधान्य है? आप सुन कर चौंकेंगे। यहां कार्बन डाई आक्साइड का बोलबाला है। यानी आक्सीजन का प्रचुर भंडार लेकर शुक्र ग्रह पर जाना होता है। आइए अब ज्योतिषीय व्याख्या पर एक नजर डालें। पहले ही कहा जा चुका है कि शुक्र सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक है। अलग अलग कुंडलियों में शुक्र का अलग अलग प्रभाव होता है। अगर शुक्र और मंगल का समीकरण गड़बड़ होगा तो मनुष्य के चरित्र पर इसका गहरा असर होगा। पुरुष हो या नारी शुक्र का उस पर प्रभाव पड़ता ही है। शुक्र ग्रह अगर बलवान और लाभकारी हो तो मनुष्य के जीवन में सुख समृद्धि भी लाता है, लेकिन साथ ही विलासी भी बना देता है।