Tuesday, March 31, 2009

शनि ग्रह



विनय बिहारी सिंह


शनि ग्रह का नाम सुनते ही कई लोग भयभीत हो जाते हैं। लेकिन यह डर बेकार ही है। सूर्य से १४०००००००० किलोमीटर दूर यह ग्रह सौर मंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इस ग्रह हाइड्रोजन और हीलियम से भरा हुआ है। इसमें भी हाइड्रोजन ज्यादा है। सूर्य की एक बार परिक्रमा करने में शनि को करीब २९ साल ६ महीने लगते हैं। यह एक मात्र ऐसा ग्रह है जो सूर्य से सबसे दूर है और पानी से कम घनत्व वाला भी है। सन १९८० में वोएगर- १ उपग्रह ने इसकी जो तस्वीरें भेजीं उससे इसके बारें में जानकारी मिलनी शुरू हुई। उसके अगले साल यानी १९८१ में वोएगर-२ उपग्रह भेजा गया था जिसने शनि के सतह की व्यापक जानकारी दी थी। उसके बाद कैसीनी उपग्रह ने इस ग्रह की सतह और वलयों की जानकारी और फोटो भेजे। तब काफी कुछ इस ग्रह के बारे में पता चला। मजे की बात तो यह है कि शनि ग्रह पर हाइड्रोजन और हीलियम का राज है तो उसके चारो तरफ वाले वलय यानी रिंग में आक्सीजन है। यानी शनि ग्रह और उसके वलय का वातावरण अलग- अलग है। वृहस्पति, यूरेनस और नेप्चून के साथ इसे भी अंग्रेजी में गैस जियांट कहते हैं। शनि ग्रह के नाम से कई लोग डर जाते हैं। जहां सुना कि शनि की साढ़े साती या ढैया है तो बस डर गए। अभी शनि वक्री है (यह लेख ३१ मार्च २००९ को लिखा जा रहा है) और मई २००९ के आखिर तक वक्री रहेगा। लेकिन आपको बता दें, शनि की साढ़े साती में ही मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने थे। इसलिए साढ़े साती में आदमी का जीवन नष्ट नहीं हो जाता। जब साढ़े साती या ढैया नहीं भी रहती है तो भी तो आदमी को परेशानी होती ही है। लेकिन हां कुछ सावधानियां बरतनी होती हैं जिससे राहत मिलती है। इसमें शनिवार को नमक न खाना जैसे उपाय काम करते हैं। जिनके ऊपर शनि का प्रभाव है वे हैं- सिंह औऱ कन्या। चूंकि शनि वक्री है और अभी सिंह राशि में है तो कुछ ज्योतिषियों का मत है कि इसका प्रभाव कर्क राशि पर भी पड़ रहा है। लेकिन मैं विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि कर्क क्या, सिंह राशि पर भी इसका प्रभाव न के बराबर है और ऐसी स्थिति मई के अंत तक रहेगी।