Friday, March 20, 2009

चंद्रमा को अर्घ्य


विनय बिहारी सिंह

आइए आज चंद्रमा के बारे में जानें। आखिर गणेश चतुर्थी और करवा चौथ को महिलाएं व्रत करने के बाद अर्घ्य देती ही हैं। हमारे मुसलिम भाई भी ईद चांद देखने के बाद ही मनाते हैं। कोई अगर अपनी प्रेयसी का वर्णन करता है तो उसे चांद का टुकड़ा कहता है। न जाने कितने कवियों ने चांद पर कविताएं लिखी होंगी। तो चांद हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। हो भी क्यों न। आखिर शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष क्या बिना चंद्रमा के संभव है? पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी ३८४, ४०३ किलोमीटर है। यानी यह सूर्य की तुलना में पृथ्वी के बहुत करीब है। चंद्रमा २७ दिन में पृथ्वी की एक बार परिक्रमा करता है। यही एक मात्र ग्रह है जिस पर मनुष्य ने अपना कदम रखा है। बिना मनुष्य के सोवियत संघ का लूना -१ गया था। उसके बाद लूना-२, लूना-३, .......लूना-९, लूना- १० तक गए। अमेरिका ने अपोलो मनुष्य सहित भेज कर एक और कीर्तिमान बना दिया। सन २०२० तक कई देशों ने अपने एस्ट्रोनाट्स को चद्रमा पर भेजने की योजना बनाई है। आखिर चंद्रमा पर कौन सी गैसें हैं? गैसें तो कई हैं- आक्सीजन, हीलियम, मीथेन, नाइट्रोजन,, कार्बन मोनोआक्साइड, कार्बन डाई आक्साइड वगैरह वगैरह। धातुओं में आयरन तो है ही सिलिकान, मैग्नीसियम, कैल्शियम, अल्यूमिनियम भी है। चंद्रमा हमारे लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? चंद्रग्रहण के दिन हम भारी उत्सुकता से क्यों पूछते रहते हैं कि ग्रहण खत्म हुआ कि नहीं? पृथ्वी अपनी धुरी पर चंद्रमा से २७ गुना तेज घूमती है, वह भी उसी दिशा में जिस दिशा में चंद्रमा घूमता है। चूंकि अन्य प्रभावशाली ग्रहों की तुलना में चंद्रमा पृथ्वी के करीब है। इसलिए पृथ्वी के अपेक्षाकृत तेजी से घूमने से एक जबर्दस्त चुंबकीय प्रभाव क्षेत्र बनता है, जिससे समुद्र में ज्वार भाटा आते हैं। चंद्रमा में तो इतना जबर्दस्त आकर्षण पैदा होता है कि कई बार ज्वार भाटे भयंकर हो जाते हैं। जिन लोगों का मस्तिष्क बीमार है या जो पागल हैं उनका भी मिजाज चंद्रमा से प्रभावित होता है। कई बार चतुर्थी के आसपास कुछ पागल जबर्दस्त हिंसक हो उठते हैं। कुछ तो पूर्णिमा के आसपास हिंसक हो जाते हैं। तो चंद्रमा को अर्घ्य क्यों दिया जाता है? ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा हमारे मन का प्रतिनिधित्व करता है। उसे माता का दर्जा दिया गया है। सूर्य पिता है तो चंद्रमा माता। चंद्रमा को लेकर धार्मिक और लोक कथाएं भी बहुत हैं। लेकिन यहां हम आध्यात्मिक पक्ष पर ही बात करेंगे। व्रत के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने से परिवार में सुख- शांति आती है। जो लोग चंद्रमा को वैसे भी अर्घ्य देते हैं, उनका कल्याण होता है। चूंकि चंद्रमा सीधे हमारे मन को प्रभावित करता है, इसलिए उसे अर्घ्य देने से अर्घ्य जल से छन कर आने वाली रश्मियां स्वास्थ्य और मन के लिए परम कल्याणकारी होती हैं। चंद्रमा हमारे शरीर को सीधे- सीधे प्रभावित करता है। इसलिए उसे दिया गया अर्घ्य वैग्यानिक तौर पर हमें फायदा पहुंचाता है।