Wednesday, March 4, 2009

कभी आपने जो चीज पसंद कर खरीदी थी, वह अब आकर्षक नहीं लगती?



विनय बिहारी सिंह


कई बार ऐसा होता है कि कोई चीज आपको बहुत पसंद आ गई। कोई दीवार घड़ी, पर्स या कोई फोटो। उसे आप घर ले आए। फोटो है तो उसे दीवार पर टांग दिया। लेकिन कुछ दिनों या महीनों के बाद लगता है कि वही चीज अब आकर्षक नहीं रही। उससे भी अच्छी कोई और चीज आपको भा गई। उससे भी अच्छा कोई और फोटो आपको खींच रहा है। क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? अगर ऐसा हो रहा है तो इसका अर्थ है कि हमें किसी बहुत सुंदर औऱ सुख देने वाली चीज की तलाश है और वह मिल नहीं रही। फोटो कुछ दिन अच्छा लगा लेकिन दिल को छू लेने वाला फोटो कहां है? तलाश जारी है। आखिर यह तलाश कब खत्म होगी? संतों ने कहा है वह तलाश भगवान के पास जाकर खत्म होगी। दरअसल हम खोज रहे हैं भगवान का ही सुख। लेकिन हमारे कंपास की सुई भौतिक वस्तुओं पर जा कर टिक जाती है। जैसे ही वह सुई भगवान के दिव्य आनंद को छूती है, अपूर्व आनंद महसूस होने लगता है। संत- महात्माओं ने कहा है कि एक बार आप भगवान की शरण में जाकर देखिए, आपके सारे तनाव और दुख वे खत्म कर देंगे। लेकिन पूर्ण शरणागति चाहिए। संत प्रश्न पूछते हैं- क्या आप ट्रेन में बैठते हैं तो अपना सामान सिर पर लिए रहते हैं? नहीं न? तो फिर जब भगवान रूपी ट्रेन पर चढ़ गए तो चिंता रूपी गठरी अपने सिर पर क्यों ढो रहे हैं भाई? सब कुछ भगवान पर छोड़िए और कुछ नहीं तो कम से कम आधा घंटा अपने मन को ईश्वर में लय कर दीजिए। फिर देखिए आप कितना तरोताजा महसूस करते हैं। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है-सर्व धर्मान परित्यज्ये, मामेकम शरणम व्रज।अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।सभी धर्मों को छोड़ कर सिर्फ मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हारे सारे दोषों से मुक्त कर मोक्ष दे दूंगा, और कुछ मत सोचो। (अठारहवां अध्याय)। क्यों न हम इसे आजमा कर देंखें।

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