विनय बिहारी सिंह
परमहंस योगानंद जी ने कहा है कि इस ब्रह्मांड को भगवान चला रहे हैं। मनुष्य नहीं। फिर तनाव क्यों। नर्वसनेस क्यों? यदि भगवान पर पूरा भरोसा है तो फिर तनाव का कोई कारण नहीं दिखता। यदि मनुष्य किसी शारीरिक या मानसिक कष्ट में है या तनाव में है तो उसे भगवान से सीधे प्रार्थना करनी चाहिए। उसके बस में बस यही है। आप समस्या सुलझाने की कोशिश भर कर सकते हैं। लेकिन समस्या सुलझाना ईश्वर के हाथ में है। क्यों न उन्हीं से प्रार्थना की जाए- प्रभु, मुझ पर कृपा कीजिए। इस समस्या को सुलझाइए। मैंने जितनी कोशिश करनी थी कर ली। अब यह समस्या आपके हवाले। ऋषियों ने कहा है कि ईमानदारी से की गई प्रार्थना सुनी जाती है। बशर्ते कि वह किसी के नुकसान के लिए न हो। प्रार्थना किसी पवित्र कार्य के लिए होनी चाहिए। सबसे बड़ी तो प्रार्थना यह है कि भगवान मुझे तो आपको पाने की ही इच्छा है। कृपया मुझे अपना बनाइए। यह ठीक है कि हम भगवान की ही संतान हैं। लेकिन फिर भी इस तरह की प्रार्थना से भगवान का ध्यान आकर्षित होता है। मां भी बच्चे की तरफ तभी विशेष ध्यान देती है जब वह रोता है। तो भगवान के सामने रोने में दिक्कत क्या है? वे अंतर्यामी हैं, सर्वशक्तिमान हैं और सर्वव्यापी हैं।
1 comment:
बहुत सुन्दर व रोचक्।
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