Saturday, December 17, 2011

तीन बार शांति पाठ

विनय बिहारी सिंह




किसी भी धार्मिक- आध्यात्मिक अनुष्ठान को शुरू करने से पहले हम सब ऊं शांतिः, शांतिः, शांतिः का पाठ करते हैं। यह सिद्ध तथ्य है कि भगवान मन शांत हुए बिना नहीं महसूस हो सकते। शांति ही आनंद को बुलाने का रास्ता साफ करती है। इसीलिए शांति पाठ होता है। एक संत का कहना है- मन शांत करना भी एक कला है। जिनका मन अशांत रहता है, उनकी सांस तेज- तेज चलती है। रमण महर्षि कहते थे- यह सांस ही आपको सांसारिक बनाती है और यही आपको ईश्वर से जोड़ती है। मन चंचल होगा तो सांस भी अपेक्षाकृत तेज चलेगी। मन शांत होगा तो सांस भी बिल्कुल शांति से चलेगी। शांत रहने का दूसरा उपाय इस संत ने बताया- गहरी आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़िए। ऐसी पुस्तकें पढ़ने से मन एकाग्रचित्त होता है और ईश्वर की तरफ अपने आप खिंच जाता है। उनसे पूछा गया- और कोई उपाय? उन्होंने कहा- हां, एक और उपाय है। खूब एकाग्र हो कर ईश्वर के किसी नाम का जाप कीजिए। जैसे- राम, राम, राम। या राधे, राधे, राधे। या ऊं नमः शिवाय। इससे मन एकाग्र होता जाता है। लेकिन शर्त यह है कि जाप करते वक्त मन में भक्तिभाव हो। तोते की तरह भगवान का नाम दुहराने से मन शांत हो ही नहीं सकता। जाप हृदय से होना चाहिए। उन्होंने अंतिम उपाय बताया तभी एक व्यक्ति पूछ बैठा- और कोई उपाय नहीं है? यह प्रश्न सुन कर सभी हंस पड़े। उस संत ने फिर कहा- भाई, ईश्वर ही सारी चीजों से मुख्य स्रोत हैं। उनसे चाहे जैसे जुड़ेंगे, शांति मिलेगी। यही है उपाय। इस बात को आप चाहे जितनी तरह कहें। बात तो वही रहेगी।

1 comment:

vandana gupta said...

सत्य वचन्।